पराशर के धरातल पर उठाए प्रभावी कदम अब जमीन पर भी दिखने लगे

एक वर्ष में पराशर की टीम ने वितरित किए पौने तीन लाख निशुल्क सैनिटरी पैड्स

उज्जवल हिमाचल । डाडासीबा

महिला सशक्तीकरण के लिए कैप्टन संजय ने जो धरातल पर प्रभावी कदम उठाए, उसके सकारात्मक परिणाम भी जमीन पर दिखने लगे हैं। यह पराशर की ही प्रयास रहे कि कोरोनाकाल के शुरू होने के बाद उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क पौने लाख सैनिटरी पैड्स वितरित करने का रिकार्ड बना दिया है। पराशर की पत्नी सोनिका खुद ने इस प्राेजेक्ट की कमाल संभाली है और वह खुद गांवों का दौरा कर इस महाअभियान को मूर्त रूप दे रही हैं। महिलाओं को समाज व विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पराशर कई प्रोजेक्ट्स पर कार्य कर रहे हैं। इसी के तहत सैनिटरी पैड्स वितरित करने का अभियान क्षेत्र की 62 पंचायतो में चलाया गया है और अब इंग्लिश लर्निंग सेंटरों और जन औषधि केन्द्रों डाडासीबा और परागपुर में भी फ्री में सैनिट्री पैड्स बांटे जा रहे हैं।

दरअसल तमाम सामाजिक सरोकारोें के बीच संजय पराशर ने अाधी दुनिया के उत्थान के लिए जो विजन रखा था, उसी का परिणाम है कि अब युवतियों के लिए मर्चेंट नेवी में रोजगार के द्वार खोले जा रहे हैं तो होनहार छात्राओं को छात्रवृति भी प्रदान की जा रही है। काेरोना का कहर शुरू होने के बाद पराशर ने चिंतपूर्णी कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं की परीक्षा फीस एकमुश्त भरी थी तो इसी कॉलेज के भवन केे जीर्णोद्धार के लिए 27.62 लाख रूपए खर्च किए। संजय ने क्षेत्र के बेटियों के हित के लिए इस महाविद्यालय के लिए इसलिए अुनदान दिया ताकि संसाधनों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। कोरोना की दूसरी लहर में चमेटी गांव की महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप की भी संजय ने खुलकर मदद की और उनके द्वारा बनाए गए प्राकृतिक उत्पाद खरीदकर कोरोना संक्रमित मरीजों में भी निशुल्क वितरित किए। जसवां-परागपुर क्षेत्र में निशुल्क सैनिटरी पैड्स वितरित करने का अभियान चला रखा है, जिसके अंर्तगत अब तक 2,77536 सैनिटरी नैपकिन महिलाओं व किशोरियों में अब तक बांटे जा चुके हैं।

वहीं, पराशर द्वारा आयोजित चिकित्सा शिविरों में महिलाओं की ही ज्यादा उपस्थिति दर्ज होती रही है। अब तक कुल लगे 57 मेडकील कैंपों में बाईस हजार से ज्यादा महिला लाभार्थी पहुंचीं। निराश्रित महिलाओं के लिए भी संजय पेंशन और उनके बच्चों को स्कॉलरशिप प्रदान कर रहे हैं। ऐसी 168 महिलाओं व उनके बच्चों को सहायता प्रदान की जा रही है। संजय ने महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए स्वाणा और शांतला में लघु उद्योग स्थापित किए हैं। इसके अलावा पराशर ने ऐसी निराश्रित महिलाओं को प्रेशर कुकर देने के बाद मासिक पेंशन भी दे रहे हैं। बड़ी बात यह भी है कि अब मर्चेंट नेवी में युवतियों की भर्ती के लिए भी पराशर ने प्रयास तेज कर दिए हैं। इस वर्ष से मर्चेंट नेवी में जसवां-परागपुर क्षेत्र की बेटियो को रोजगार दिलावाने के लिए कैप्टन संजय ने खाका तैयार कर लिया है। कैप्टन संजय का कहना है कि महिला सशक्तीकरण के लिए सबसे कारगर उपाय है कि उन्हें आर्थिक मजबूती प्रदान की जाए। जब वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र होंगी तो वे अपने विचारों को मजबूरी से रख पाएंगी। नारी शक्ति को सीधे रोजगार से जोड़ा जाए, इस दिशा में भी वह काम कर रहे हैं।