घाेषणाओं तक सीमित बिख्यात पहाड़ी गांधीं बाबा काशीं राम के परिवार की सुविधाएं

शुभम शर्मा। रक्कड़

बुलबुल-ए-पहाड़ के नाम से विख्यात पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम देश की आजादी के लिए उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने जेलों में अंग्रेजी हकूमत की यातनाएं झेली। वाबजूद इसके उनकी कुर्बानियों को वह सम्मान नहीं मिल पाया, जिसके वह हकदार थे। उनका पुश्तैनी घर आज भी खंडहर बना है, जिसे सवांरने की अकसर सरकारें दावे करती हैं, मगर परिणाम आज तक शून्य है। बता दें 11 जुलाई, 2018 को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम के डाडासीबा के पास लगते गांव गुरनवाड स्थित उनके जर्जर पड़े पुराने घर का जीर्णोद्धार कर इसे स्मारक के रूप में विकसित किए जाने की घोषणा की थी, मगर अफ़सोस यह एक घोषणा से आगे नहीं बढ़ पाई।

इससे परिजनों में एक अरसे बाद भी सरकारी निर्णय के अमल न होने को लेकर निराशा है। बाबा कांशी राम के पौत्र रविकांत शर्मा व विनोद शर्मा ने बताया कि उन्होंने इस बाबत अपना सहमति पत्र भी सरकार को सौंप दिया है। बावजूद इसके जमीनी स्तर पर कोई कार्यवाई अभी तक नहीं हुई है। इसी तरह 10 जुलाई, 2017 को पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने उनके पुश्तैनी घर को अधिग्रहण कर स्मारक बनाने की घोषणा की थी, मगर यह निर्णय भी फाइलों तक सीमित रहा। वहीं, 2007 में भाषा एवं संस्कृति विभाग ने भी बाबा कांशी राम के परिजनों से पुराने मकान के अधिग्रहण की बात की थी, मगर इस पर भी कोई अमल नहीं हो पाया है।

बाबा काशीं राम के परिजनों को इस बात का मलाल है कि सरकारी घोषणा के वाबजूद भी और तो और स्मारक बनाने की प्रक्रिया अभी शुरु नहीं पाई। उनका कहना है कि विधायकों के भत्ते तो पक्ष विपक्ष दोनों ने एक दिन की कार्यवाही में मात्र दो मिनट में हाथ खड़े कर ध्वनिमत से बढ़ा लिए, मगर क्या उस क्रांतिकारी देशभक्त को भी वे सम्मान दे पाएं हैं। जिसने देश की आजादी के लिए आजीवन संघर्ष किया। जेलों में बंद किये जाने पर भी भारत माता के नारे बुलंद किये। भगत सिंह की फांसी के बाद आजीवन काले वस्र पहने। अपने असंख्य लोकगीतों और कविताओं के माध्यम से लोगों में राष्ट्र प्रेम की लौ जलाई। जिन्हें सरोजनी नायडू ने बुलबुल-ए-पहाड़ के ख़िताब से नवाज़ा।

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जिन्हें पहाड़ी गांधी के संबाेधन से एक अतुलनीय गरिमा प्रदान की, मगर अफ़सोस वाबजूद इन सबके इस क्रांतिकारी देशभक्त के लिए सिवाय साहित्यिक सम्मेलनों के सरकारें कुछ भी नहीं कर पाई। इस क्रांतिकारी देशभक्त की जन्मस्थली को इतना उपेक्षित कर दिया गया है कि जिस डाडासीबा के स्कूल में इन्होंने अपनी शिक्षा ग्रहण की, वहां तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मंत्री रहे एनसी पराशर के आश्वासन के वाबजूद एक बुत्त तक का निर्माण नहीं हो पाया है। जहां लोग इस महान क्रांतिकारी देशभक्त के त्याग को स्मरण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर सके।

हालांकि उनके नाम पर डाडासीबा में महाविद्यालय और स्कूल का नामकरण जरूर हुआ है। पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम के पैतृक घर को स्मारक बनाने की कवायद शुरू हो गई है। एसडीएम देहरा धनबीर ठाकुर के नेतृत्व में गठित टीम ने 22 जून, 2020 को गुरनबाड़ डाडासीबा में पहुंचकर बाबा कांशी राम के घर की जमीन की निशानदेही की है। उधर, इस संबंध में एसडीएम धनवीर ठाकुर देहरा से बात की गई, तो उन्होंने बताया 22 जून को अपनी टीम सहित निरीक्षण करने गए थे और इसकी रिपोर्ट भाषा संस्कृति विभाग को भेज दी है। आगामी कार्रवाई उक्त विभाग द्वारा की जाएगी।

विनोद शर्मा बाबा कांशी राम के पोत्र ने बताया बाबा कांशी राम पहाड़ी गांधीजी के घर का अधिग्रहण करके स्मारक बनाने की घोषणा 11 जुलाई, 2018 को की गई थी, परंतु आज तक वह घोषणा पूरी नहीं हुई परंतु 22 जून, 2020 को उपमंडल अधिकारी देहरा के अधीन एक टीम ने बाबा कांशी राम पहाड़ी गांधी के घर पर आकर सर्वे किया है और आशा है कि जल्द ही माननीय मुख्यमंत्री अपनी घोषणा को पूरा करेंगे और जल्द ही बाबा कांशी राम पहाड़ी गांधी का घर एक स्मारक के रूप में विकसित होगा।