जसवां-परागपुर के किसानों ने करनाल में सीखीं पशु पालन की बारीकियां

कैप्टन संजय के सौजन्य से मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट से लेकर गाय व भैंसों की उत्तम नस्लों काे भी देखा

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय के सौजन्य से जसवां-परागपुर क्षेत्र से राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल में गए किसानों ने पशु पालन की बारीकियां सीखीं और उन्हें मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट से लेकर गाय व भैंसों की उत्तम नस्लों का नजदीक से अवलोकन करने का मौका मिला। अपनी तरह के पहले भ्रमण पर गए किसानों ने इस दौरे को सफलतम बताया है और सभी किसानों ने पशु पालन की नई तकनीकों से काम करने की योजना बनाई है। वहीं, पराशर का कहना है कि किसानों की आय दुगनी करने के लिए वह अपनी तरफ से हर संभव मदद करेंगें। जसवां-परागपुर क्षेत्र के किसानों के चौदह सदस्यीय दल को संजय ने एनडीआरआई, करनाल में दुग्ध उत्पादों की जानकारी के लिए भेजा था। पशु पालकों सतपाल कंवर, आशीष और त्रिलोक चंद शर्मा ने बताया कि यह दौरा उनके लिए अभूतपूर्व रहा है।

इस भ्रमण में संस्थान के प्रधान वैज्ञानिकों से उन्हें पशु पालन से जुड़े व्यवसाय को लेकर सीधे सवाल करने का अवसर मिला तो उनकी हर जिज्ञासा काे वैज्ञानिकों ने धरातल पर दिखाकर और सटीक जबाव देकर संतुष्ट किया। संजीव कुमार राणा, अशोक और विनोद ने बताया कि उन्होंने दुग्ध उत्पादन से जुड़े नए तरीके भी सीखे। पनीर के बेकार पानी से कैसे जूस और आइस क्रीम बनाई जा सकती है और इससे कैसे व्यवसायिक लाभ लिया जा सकता है, के बारे में भी एनडीआरआई की टीम ने जानकारी दी और खुद ऐसे उत्पादों को उनके सामने बनाकर तैयार किया। मुकेश और केहर सिंह ने बताया कि इस दौरे के बार वे बकरी पालन को लेकर उत्साहित हुए हैं। इस व्यवसाय करने वाले हरियाणा के किसानों से भी मिले और अब इरादा कर लिया है कि गांव लौटने के बाद बकरी पालन का ही काम शुरू किया जाएगा। विशाल राणा, विनोद और सुखदेव ने बताया कि उन्होंने पहली बार बीस से पच्चीस लीटर दूध देने वाले पशु देखे। मुर्रा नस्ल की भैंस और गाय की साहिवाल व हरियाणा व गुजरात की देसी नस्लें देखीं।

इन पशुओं के चारे व खुराक को लेकर भी वहां के प्रगतिशील किसानों ने अपने अनुभव सांझा किए। इन पशु पालकों का कहना था कि दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए वे भी उत्तम किस्म के पशुआें की नस्लें खरीदने पर विचार कर रहे हैं। नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीच्यूट के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. एके सिंह ने बताया कि किसी पालन से जुड़ी हर जानकारी देने का प्रयास इस दौरे में देने का प्रयास किया गया। मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट और हरियाणा की दूध समितियों और स्वयं सहायता समूहों के अलावा अपनी आय बढ़ा चुके पशु पालकों से भी जसवां-परागपुर क्षेत्र के किसानों का सीधा संवाद करवाया गया तो विशेष सत्रों के माध्यम से संस्थान के वैज्ञानिकों ने पशुओं की बीमारियों और उनके उपचार बारे में भी जानकारी प्रदान की। इस दौरे पर गए विजय कुमारए केहर सिंह और विनोद सहित सभी पशु पालकों ने कैप्टन संजय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके जीवन में यह कार्यक्रम क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया है और जो वे करनाल में सीख कर आए हैंए उसे व्यर्थ नहीं जाने देगें और पशु पालन में नए तरीकों व तकनीक से नई ऊर्जा के साथ काम करेंगे। वहीं, पराशर ने इस भ्रमण पर गए सभी किसानों को बधाई देते हुए उम्मीद जताई कि वे पशु पालन से अपनी आय दुगनी करने के लिए अब जुट जाएंगे और उनसे जो सहायता बन पाएगी, उसे किसानों को पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।