रसूखदार उद्याेगपति को सहुलियत देने के लिए किसानों कि उपजाऊ भूमि को बनाया जा रहा बंजर

जैविक खेती और जल संरक्षण के नाम पर प्रदेश सरकार लोगों को गुमराह करना बंद करें : ग्रामीण

सुरिंद्र सिंह साेनी। नालागढ़

ओद्यौगिक नगरी बीबीएन(बद्दी- बरोटीवाला- नालागढ़) विश्व के मानचित्र पर फार्मा हब के नाम से मश्हूर है, जहां न केवल देश बल्कि विदेशी कंपनियों नें भी अपनें उद्यौग स्थापित किए हैं, जहां प्रदेश के साथ- साथ देश के अन्य सभी राज्यों से आये लोग इन उद्यौगों में कार्य कर अपना जीवन बसर कर रहे हैं, जहां ओद्यौगिक नगरी बीबीएन(बद्दी- बरोटीवाला- नालागढ़)नें देश के लाखों- करोड़ों लोगों को रोजगार के अवसर दिए हैं। वहीं, बीबीएन की जनता कई रसूखदार लोगों की वजह से काफी परेशान है, जिनकी तरफ न ही सरकार का कोई प्रतिनिधी और न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी ध्यान दे रहा है, जिस कारण बीबीएन के कई गांव वालों में काफी रोष है।

कुछ एसा ही मामला ओद्यौगिक क्षेत्र नालागढ़ की सनेड ग्राम पंचायत के बागबानियां, कसंबोवाल व भवानिपुरा गांव वासियों के लिए एक उद्योग की हाई वॉलटेज़ ट्रांसमीशन टावर लाईन मुसिबत बनती जा रही है। प्रशासन द्वारा एक बैटरी उद्यौग को बागबानिया नदी के बीचों-बीच से ट्रासंमिशन लाईन लगानें की अनुमती दी गई थी, जिस कारण बागबानियां गांव व उसके आस पास के दर्जनों गांव के लोगों और किसानों को करोड़ाें का नुकसान झेलना पड़ा रहा है।

बागबानियां, कसंबोवाल, भवानिपुरा और उसके आस-पास के गांववासियों नें जानकारी देते हुए बताया कि पिछले वर्ष की बरसात में बागबानियां नदी का जलस्तर एकदम बढ़ गया और नदी में लगे हाई वॉलटेज़ ट्रांसमिशन लाइन के टावरों को की गई बाउंड्री वॉल के कारण जगह- जगह से नदी नें अपना रास्ता बदल लिया और आसपास के गांव को अपनी चपेट में ले लिया। इतना ही नहीं नदी के पानी नें लोगों की निजी जमींन ओर उसमें उगी मक्की की एव अन्य सभी फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया, लेकिन एक साल बीत जानें के बाद भी प्रशासन द्वारा न तो किसानों और गांव वासियों को इसका मुआवजा दिया गया और न ही उद्योग की ट्रांसमिशन लाइन को वहां से शिफ्ट कराया गया।

जानकारी के लिये बता दें कि पिछले वर्ष हुई तेज बारिश के कारण बागबानियां पुल पूरी तरह से बंद हो गया, जिस कारण बरसात का पानी पुल के उपर से गुजर गया, जिस कारण पुल को भी काफी क्षती पहुंची और पुल में बलॉकेज़ होने के कारण पानी आस-पास के गांव में घुस गया था, जिस कारण नदी का गाद वाले पानी नें बेलीदयोल स्कूल, बेलीदयोल सोसाईटी, पंचायत घर, पटवार खाना, किसानों की जमींन, उद्याेग, दुकानों और तो और सरकारी विभाग को भी करोडों का नुकसान हुआ था, लेकिन इतनें लंबे समय के बाद भी प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेगीं।

इतना ही नहीं गांववासियों और सरकारी विभागों के इतने नुकसान होने के बाद भी प्रशासन द्वारा बैटरी उद्यौग को हाई वॉलटेज़ ट्रांसमिशन लाइन हटाने को नहीं कहा गया, बल्कि अब उद्योग द्वारा सभी टावरों की बाउंड्री वॉल का कार्य किया जा रहा है, जबकी इस बार भी मौसम विभाग द्वारा पहले ही भारी बारिश का अनुमान लगाया जा चुका है, जिसका नुकसान अभी से दिखना शुरू हो गया है। नदी के बीचों- बीच लगे इन दर्जनों टावरों की वजह से अभी से गांव वासियों में भय का माहौल पैदा हो गया है।

इन दर्जनों टावरों ने कहीं तो नदी का पूरा पानी उद्यौगों की तरफ मौड़ दिया और कहीं गांवों की तरफ और कहीं किसानों की उपजाऊ भूमी की तरफ मौड़ दिया। वहीं, एक सप्ताह पहले हुई बारिश के पानी ने शुरुआत में ही किसानों की भूमि को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है और आईपीएच विभाग द्वारा बनाई गई राजकुल को भी कई जगहों से क्षति पहुंची है, जिसके कारण राजकुल के साथ लगते खेत खलियानाें को काफी नुकसान पहुंचा। गांव वासियों का कहना है कि उद्योग द्वारा जो टावर नदी में लगाए गए हैं, उनमें से कुछ टावर बहुत गलत जगह पर लगाए गए हैंं।

जैसे बागबानिया पुल के तकरीबन 20 मीटर के दायरे मेंं ही उद्योग का टावर लगाया गया है, जिसके कारण नदी के बहाव आधा रास्ता पूरी तरह से बंद हो चुका है और वही उद्योग द्वारा बिना किसी के सुझाव से इन टावरों की बाउंड्री वॉल की जा रही है। गांव वालों का कहना है कि बागबानिया पुल की जो हालत इस समय बनी हुई है अगर पिछले साल की बरसात की तरह इस बरसात में भी उतना ही पानी नदी में आता है, तो बागबानिया पुल बह भी सकता है, जिस कारण नेशनल हाईवे से आम जनता और सभी विभागों का संपर्क टूट जाएगा। क्योंकि एक सप्ताह पहले हुई बारिश ने यह संकेत दे दिए हैं।