चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा

उज्जवल हिमाचल। डेस्क
चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। ममतामयी मां स्कंदमाता स्कंद कुमार भगवान कार्तिकेय की माता हैं। देवी की गोद में स्कंद देव बैठे हुए हैं। देवी की पांचवी शक्ति की पूजा से साधक का संतान प्राप्ति का मार्ग सुलभ हो जाता है। बुद्धि और चेतना बढ़ती है।

मां स्कंदमाता को विद्यावाहिनी, माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है। सिंह पर सवार माता अपने गोद में सनत कुमार भगवान कार्तिकेय को लिए हुए संदेश देती हैं कि सांसारिक मोह माया में रहते हुए भी भक्ति के मार्ग पर चला जा सकता है और समय आने पर बुद्धि और विवेक से असुरों का नाश करना चाहिए।

माता को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है इसलिए इन्हें अपने पुत्र के नाम के साथ संबोधित किया जाना अच्छा लगता है। पूजा के बाद अपनी आरती से स्कंदमाता बहुत प्रसन्न होती हैं।
मां स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंदमाता,
पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी,
जग जननी सब की महतारी। जय तेरी हो स्कंदमाता

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तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं,
हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा,
मुझे एक है तेरा सहारा। जय तेरी हो स्कंदमाता

कहीं पहाड़ों पर है डेरा,
कई शहरो में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे,
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे। जय तेरी हो स्कंदमाता

भक्ति अपनी मुझे दिला दो,
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे,
करे पुकार तुम्हारे द्वारे। जय तेरी हो स्कंदमाता

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए,
तुम ही खंडा हाथ उठाएं।
दास को सदा बचाने आईं,
चमन की आस पुराने आई। जय तेरी हो स्कंदमाता

ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क

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