कर्मचारियों व पेंशनरों को सहयोग देने की बात सरकार का सिर्फ चुनावी मुद्दा : जगदीश चौहान

Government's only election issue to support employees and pensioners: Jagdish Chouhan
कर्मचारियों व पेंशनरों को सहयोग देने की बात सरकार का सिर्फ चुनावी मुद्दा : जगदीश चौहान

नूरपुरः हिमाचल प्रदेश में चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आजकल जगह-जगह यह ढोंग रच रहे हैं कि हमारी सरकार ने कर्मचारियों के लिए बहुत ही काम किए हैं और कर्मचारियों से सहयोग मांग रहे हैं। आज एक बैठक में पूर्व कर्मचारी नेता व महासचिव जनजातीय विभाग एचपीपीसी के नेता जगदीश चौहान ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से पूछना चाहा कि पांच साल के शासन में भाजपा सरकार ने मुलाजिमों की मांग को पेंशनरों के हित में कोई कदम नहीं उठाया।

अब कैसे ख्याल आया कि भाजपा सरकार ही इस समस्या का समाधान कर सकती है। चुनाव आचार संहिता का सरेआम उल्लंघन मौजूदा चुनावी ड्यूटी पर तैनात अधिकारी के समक्ष करके कर्मचारियों व पेंशनरों को सहयोग देने की बात सरकार का लालीपाप देना केवल चुनावी मुद्दा लगता है।

हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 में भाजपा सरकार बनने पर चार साल तक कर्मचारियों व पेंशनरों के साथ क्यों बात करना उचित नहीं समझा। इन पांच सालों के अंदर कर्मचारियों की 10 जेसीसी की बैठकें होनी चाहिए थी। आपके द्वारा चार साल बाद मात्र एक बैठक की गई। वह भी बेनतीजा साबित निकली। चौहान ने कहा कि जब पूरे प्रदेश में कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करवाने बारे शांति प्रिय ढंग से संघर्ष कर रहे थे।

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तो सर्दी के मौसम में उन पर पानी की बौछारें और डंडे क्यों बरसाए गए। महिला कर्मचारियों को क्यों प्रताड़ित किया गया। बदले की भावना से प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में कर्मचारियों के तबादले करके उन्हें क्यों प्रताडित किया गया। विधानसभा में आपके द्वारा कर्मचारियों को क्यों ललकारा गया कि कर्मचारी चुनाव लड़े।

आप यह कहने में क्यों संकोच करते रहे कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा कर्मचारियों के बुढ़ापे पर लाठी मारकर ओपीएस छीनने का काला कानून बनाकर जनवरी 2004 से एनपीएस लागू कर दी गई। जबकि आपकी सरकार कांग्रेस सरकार पर दोष मढ़कर कर्मचारियों को गुमराह करते रहें। आपकी सरकार द्वारा कर्मचारियों व पेंशनरों की देनदारी पर करोड़ों के हिसाब से लोन लिया गया।

वह पैसा कहां डाला जबकि उनके हक नहीं दिए गए। जनवरी 2016 के बाद रिटायर हुए 40 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की पेंशन संशोधित नहीं हो पाई और उन्हें आज दिन तक नए पे स्केल की एक फूटी कौड़ी भी हासिल नहीं हो पाई है। इन पेंशनरों के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों किया गया।

कर्मचारियों को महंगाई भत्ते की किस्तें क्यों जारी नहीं की गई। उन्हें क्यों रोके रखा जबकि अपने राजनीतिक फायदे के लिए 75वें आजादी के अमृत महोत्सव को हर जिले में मना कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया।

संवाददाताः विनय महाजन
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