इस परिवार के लिए सरकार की याेजनाएं मात्र ढकाेसले

खस्ता हाल मकान गिरने की कगार

शैलेश शर्मा। चंबा

देश की सरकार गरीब, बेसहारा और असहाय लोगों को मकान बनाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है , लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों का अड़ियल रवैया लापरवाही व पक्षपात की वजह से जिन पात्र लोगों के लिए सरकार द्वारा यह योजनाएं बनाई जाती है, वह योजनाएं उन गरीब लोगों तक पहुंच ही नहीं पाती है और उन सभी योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पाता। हैरानी की बात है, तो यह है कि अभी भी बहुत से ऐसे ग्रामीण क्षेत्र है, जहां पर गरीब लोग आज भी अपने  जर-जर हो चुके कच्चे मकान में जिंदगी और मौत के बीच जीवन जीने को मजबूर है।

डल्हौजी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह है पंचायत बाढ़का का गांव बेन्डोई, जिसमें करीब 10 से 12 परिवार इसी सलूणी उपमंडल के गांव बेन्डोई में रहते हैं। इसमें गांव में रहने वाले करीब करीब सभी गांव वासी अपनी जिंदगी को ठीक से गुजार रहे हैं, पर इनमें एक परिवार ऐसा है, जिसकी लाचारी सुनने के बाद बड़े से बड़े बेरहम दिल वाले का दिल भी इस परिवार की लाचारी सुनने के बाद पसीज जाएगा। हम मिलवाने जा रहे हैं।

अमर चंद के परिवार से। इस जर-जर हो चुके मिट्टी के मकान में खुद अमर चंद, उसकी तलाक सुधा बहन खेलकुनु देवी और एक छोटा बच्चा और उसी के साथ इस कच्चे मकान में इनके मवेशी भी रहते है। बता दें कि अमर चंद जो कि अपनी आंखों से देख नहीं सकता है और उसको हर वक्त किसी न किसी के सहारे की जरूरत रहती है। इसलिए पिछले 18 वर्षों से उसकी छोटी बहन खेलकणु देवी उसके साथ में रहकर अपना और अपने भाई का पालन-पोषण कर रही है। अपने अंधेपन से लाचार हो चुके इस अमर चंद का कहना है कि वह आंखों से अंधा है, मेरे को कुछ भी दिखाई नहीं देता है।

उसका कहना है कि यह मकान बिलकुल खस्ता हो चूका है। पूछने पर अमर चंद ने बताया कि हम लोगों को किसी ने भी कोई सहायता नहीं की है। उसने बताया कि हम जिस मकान में रह रहे हैं, वह मकान तेज बारिश और भारी बर्फ़बारी के चलते कभी भी गिर सकता है और हम सभी लोग दबकर मर भी सकते हैं। यह प्रदेश सरकार से मांग कर रहे हैं कि जैसे-तैसे इनका मकान बन जाए और हमें कुछ भी नहीं चाहिए। इनका कहना है कि सरकार की और से हम लोगों को कोई मदद नहीं मिली है।

रोटी से लाचार इस परिवार की इस महिला का कहना है कि वह अपनी इस बात को प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री तक पहुंचाना चाहती है, पर उसकी दर्द भरी पुकार को कोन उन बड़े राजनेताओ तक पहुंचा सकता है। महिला ने अपनी दुःख भरी बात को आगे बढ़ाते हुए बताया कि इसके पति ने 18, वर्ष पहले इसको तलाक देकर घर से निकाल दिया था और मेरे वहां पर बने घर को भी उन लोगों ने गिरा दिया था, मैं तब से लेकर आज तक वह अपने भाई के घर में बचे हुए जीवन को गुजार रही हूं, पर यंहा भी खतरा ही खतरा है और यह घर कभी भी गिर सकता है।

गौरतलब है कि अगर हम अभी हाल ही के आंकड़ों की बात करें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक 2576 मकानों का निर्माण चंबा जिला में पूरा कर लिया गया है। साथ ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की अनुदान योजना के तहत 210 मकान बनाए गए है और अगर हम फिर दाेबारा से सरकारी आंकड़ों की बात करें, तो विकास खंड सलूणी के 836 उन सभी लोगों को सरकार की आवास योजनाओं का सीधा लाभ मिल चुका है, तो क्या अमर चंद जिसकी आंखों की रौशनी तक नहीं है, वह कोई भी काम खुद नहीं कर सकता और जिसका घर इतना जर-जर हो चूका है कि कभी भी जमीदोश हो सकता है। इस गरीब को इन सभी योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिला, यह सोचने का विषय जरूर है।