सरकार का जवाब: चारधाम प्रोजेक्ट का ग्लेशियर फटने से कोई लिंक नहीं

सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आरोपों पर रखा पक्ष

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

उत्तराखंड में चारधाम परियोजना के चलते ग्लेशियर फटने के आरोपों पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया है। सरकार का कहना है कि ग्लेशियर फटने की घटना इसके चलते नहीं हुई है। डिफेंस मिनिस्ट्री का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि चारधाम प्रोजेक्ट का ग्लेशियर फटने से कोई लिंक नहीं है। हालांकि उन्होंने आधिकारिक तौर पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का वक्त मांगा है। एक उच्च स्तरीय कमिटी के चेयरमैन रवि चोपड़ा ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे एक पत्र में यह आशंका जताई थी कि चारधाम रोड के चौड़ीकरण का भी इससे संबंध हो सकता है।

जस्टिस आरएफ नरीमन, हेमंत गुप्ता और बीआर गवई की बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई को दो सप्ताह के लिए स्थगित किया है और केंद्र सरकार को इस दौरान जवाब देने का आदेश दिया है। उच्च स्तरीय कमेटी का गठन चारधाम रोड प्रोजेक्ट के चौड़ीकरण के प्रभावों के आकलन के लिए किया गया था। फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। 900 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट को यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ में कनेक्टिविटी के लिए अहम माना जा रहा है। इसके जरिए हर मौसम में चारों तीर्थस्थलों के बीच कनेक्टिविटी रहेगी।

एनजीओ सिटिजंस फॉर ग्रीन दून ने याचिका दायर की थी

दरअसल इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक एनजीओ सिटिजंस फॉर ग्रीन दून की ओर से याचिका दायर की गई थी। इसकी सुनवाई के दौरान ही उच्च स्तरीय कमिटी के चेयरमैन की ओर से लेटर भेजा गया था और अब केंद्र सरकार से कोर्ट ने जवाब मांगा है। इससे पहले 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाई पावर कमेटी के कुछ सदस्यों की सिफारिशों को बरकरार रखते हुए सरकार से कहा था कि रोड की कुल चौड़ाई 5.5 मीटर तक ही रखी जाए। इस पर रक्षा मंत्रालय का कहना था कि यह चौड़ाई भारत-चीन सीमा से लगे क्षेत्र में 7 मीटर के करीब होनी चाहिए। बता दें कि इस प्रोजेक्ट को धार्मिक महत्व के अलावा रणनीतिक तौर पर भी अहम माना जा रहा है।