किसानों को चिढ़ा रहा अमरोह में खाली पड़ा टैंक: कैप्टन संजय

-कहा, किसानों के खेतों में होना चाहिए सिंचाई सुविधा का प्रावधान

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय ने कहा है कि किसानों की आय बढ़ाकर कृषि को फायदे का सौदा बनाने की बात तो हर तरफ की जाती है। इसके लिए तरह-तरह के प्रयास और प्रयोग भी किए जाते रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में उनसे कुछ विशेष हासिल होता नजर नहीं आ रहा है।

पराशर ने कहा कि इसके पीछे का बड़ा कारण किसानों के हक में बनी योजनाओं का फॉलो-अप न होना भी रहा है। संजय ने जसवां-परागपुर क्षेत्र की अमरोह पंचायत के वार्ड नम्बर पांच में खेतों की सिंचाई के लिए बने सूखे टैंक का उदाहरण देते हुए कहा कि इस योजना पर काफी पैसा खर्च हुआ, लेकिन किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया।
पराशर ने कहा कि अमरोह गांव में मिड हिमालय योजना के तहत चेक डैम व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करता है।

कहा कि जब यह योजना बनाई गई तो गांववासियों को यह सपना दिलाया गया था कि पानी को एकत्रित कर टैंक में डाला जाएगा। तब किसानों ने भी यही सोचा था कि वे खेतों में जाकर मेहनत करेंगे और हर मौसम में अच्छी फसल की पैदावार करेंगे। संजय ने कहा कि योजना के तहत धन खर्च हुआ। पहले चेक बांध बना और बाद में टैंक बनाया गया। लेकिन हैरत की बात है कि कभी इस टैंक में पानी की एक बूंद तक नहीं पहुंची।

उसके बाद भी टैंक तक पानी पहुंचाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुए। अब हालात यह हैं कि चेक डैम में भी गाद भर गई है और सूखा टैंक स्थानीय किसानों को चिढ़ाता हुआ नजर आ रहा है। पराशर ने कहा कि ऐसे कार्यों पर अगर सरकारी धन खर्च हुआ है तो किसी की तो जबावदेही निश्चित होनी चाहिए। टैंक तक पानी क्यों नहीं पहुंचा, क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए। संजय ने कहा कि जसवां-परागपुर का अधिकतर क्षेत्र पहाड़ी है।

लगभग सभी गांवों में स्थानीय वासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि रहा है, लेकिन अब किसानों का खेतों से मोह भंग होता जा रहा है। बेशक क्षेत्र की भूमि बेहद उपजाऊ गिनी जाती रही है। बहुत समय नहीं बीता जब क्षेत्र में किसान मसालों से लेकर दालों तक उत्पादन करते थे, लेकिन वक्त के साथ ही अब सब कुछ बदला नजर आ रहा है। कहा कि ऋतु चक्र में हो रहा बदलाव भी इसकी एक वजह मानी जा सकती है।

लेकिन शासन को जिस तरह के उपाय और प्रबंधन किसानों के हित में करना चाहिए था, वो अभी तक धरातल पर नजर नहीं आते हैं। क्षेत्र में किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया करवाने के लिए डेढ़ दशक पहले से कोई बड़ा प्लान या प्राेजेक्ट बनाया जाता तो आज क्षेत्र के हर गांव में किसानों के खेतों में पानी पहुंच जाता। कहा कि चेक बांध का निर्माण आैर फिर सोलर सिस्टम की मदद से खेतों तक पानी पहुंंचाया जा सकता है।

मनरेगा के तहत चेक बांधों का निर्माण हो और फिर इन्हीं बांधों से पानी को लिफ्ट किया जाए, तो खेती फिर घाटे का सौदा नहीं रह जाएगी। पराशर ने कहा कि इस काम को जमीन तक उतारने के लिए दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति की जरूरत होगी। कहा कि ग्रामीण क्षेत्राें में कृषि का बड़ा महत्व है और जो लोग पहले इस सच्चाई से अनभिज्ञ थे, कोविड-19 महामारी ने उन सबको इससे परिचित करा दिया है।