हिमाचल सरकार कर्मचारियों को राजनीति विरोधी नहीं बल्कि सरकार का ही मुख्य अंग समझकर करे व्यवहार

चैन सिंह गुलेरिया। ज्वाली

पूर्व पंचायत समिति सदस्य एवं वर्तमान उपप्रधान पंचायत डोल भटहेड़ साधू राम राणा ने प्रेस वार्ता में कहा कि हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों द्वारा पुरानी पैंशन बहाली केलिए किए जा आंदोलन को कुचलने केलिए जो सरकार द्वारा वेतन काटने एफ आई आर दर्ज करने नौकरी से निकालने जैसे फरमान जारी किए हैं उन्हें देख कर तो ऐसा लग रहा कि हिमाचल सरकार कर्मचारियों को राजनीति विरोधी दल समझकर इनके मौलिक अधिकारों से जुड़े आंदोलन को कुचलने का मन बना चुकी है जबकि कर्मचारी कोई राजनीति दल ना हो कर सरकार का एक ही एक मुख्य अंग होता है जो अपने हकों से जुड़ी हुई छीनी गई सुविधा की बहाली को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।

वर्तमान सरकार को ज़रा अपने ही दल की पूर्व सरकार के मुख्यमंत्री शांता कुमार जी के कर्मचारियों के विरुद्ध नो वर्क नो पे के नियम को लागू करने के परिणाम को देखकर ही फैसला लिया जाना चाहिए जबकि शांता कुमार जी ने इस फैसले को लेकर पुनः सत्ता वापिस तो दूर की बात मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी विधायक की सीट पर भी हार गए थे और हिमाचल की राजनीति में पुनः वापसी के दरवाजे भी सदा केलिए बंद हो गए थे। अतः अब तो हिमाचल में कुछ ही महीनों उपरांत चुनाव होने हैं और सत्तारुढ़ दल कर्मचारियों के साथ जिनकी चुनावों में किसी भी राजनीति दल की सरकार बनाने में मुख्य भूमिका रहती इस प्रकार से उनकी मांगों को लेकर सख्ती दिखना किसी बड़े जोखिम भरे फैसले से कम नहीं देखा जा सकता है।

हमारे माननीय तो समाजसेवा के नाम पर अल्प समय तक ही सत्ता में रहते हुए लाखों रुपए वेतन.भत्तों एवं पैंशन के रूप में लेकर कर मुक्त रहकर सरकार के से खजाने बड़े ही स्वाभीमान से ले रहे हैं तो फिर सरकारी कर्मचारियों को कम वेतन में लंबे समय तक काम करने उपरांत भी सम्मानजनक पैंशन से वंचित क्यों रखा जा रहा है। अतः जैसे माननीय अपने वेतन भत्तों एवं पैंशन जैसी योजनाओं को विना किसी शोरशराबे से ध्वनि मत से पारित करते हैं उसी प्रकार सरकारी कर्मचारियों से जुड़ी पुरानी पैंशन बहाली का प्रस्ताव भी ध्वनि मत से पारित कर देना चाहिए ताकि सरकारी कर्मचारी भी सेवानिवृत्ति उपरांत सम्मानजनक जीवन जी सकें।