जिसकी जमीन का उपयोग सड़क निर्माण में हो, उसका मालिक मुआवजे का हकदार: हाईकोर्ट

उज्जवल हिमाचल। शिमला

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि जिस व्यक्ति की भूमि का उपयोग सड़क निर्माण के लिए किया गया है, वह प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत मुआवजा लेने का हकदार है, जब तक कि यह साबित नहीं हो जाता कि सड़क निर्माण में उसकी सहमति थी।

मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीफ, न्यायाधीश अजय मोहन गोयल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की पूर्ण पीठ ने डिवीजन बैंच की ओर से भेजे रेफरेंस का जवाब देते हुए यह फैसला सुनाया। इस मामले में महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की भूमि का उपयोग विकास खंड ठियोग में वर्ष 2000-2001 में जीप योग्य सड़क के निर्माण के लिए किया गया।

सड़क के लिए खोदाई का कार्य याचिकाकर्ता सहित सभी भूमि मालिकों की मौखिक सहमति से बहुत पहले पूरा कर लिया गया था। याचिकाकर्ता ने सर्वेक्षण व सड़क निर्माण के दौरान कभी आपत्ति नहीं जताई और भूमि के बदले मुआवजे के भुगतान का दावा नहीं किया। इसके अलावा पीएमजीएसवाई के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजे के भुगतान का प्रविधान नहीं है।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि पीएमजीएसवाई के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए धन का प्रविधान न होने का अर्थ यह नहीं है कि प्रदेश सरकार मुआवजे का भुगतान अपने खर्च पर नहीं कर सकती। प्रदेश सरकार को साबित करना होगा कि सड़क निर्माण के लिए भूमि याचिकाकर्ता की सहमति से ली गई थी।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद पूर्ण पीठ ने कहा कि पीएमजीएसवाई के दिशानिर्देश में भी नागरिक की सहमति और देय राशि के भुगतान के बिना भूमि पर कब्जा करने की परिकल्पना नहीं की गई है। यह दूसरी बात है कि नागरिक स्वेच्छा से जमीन का समर्पण करता है। लेकिन स्वेच्छा के तथ्य की जांच के लिए ठोस और विश्वसनीय सुबूत होने चाहिए।