हिमाचलः सुप्रीम कोर्ट के फैसले अनुसार मिले कर्मचारियों को पेंशन

एसके शर्मा। हमीरपुर

वर्ष 2015 में राजस्थान सरकार बनाम महेंद्र नाथ शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन मामले में एतिहासिक निर्णय दिया था जिसके अनुसार पेंशन कर्मचारियों का वह अधिकार है जिसे देना सरकार के विवेक की अपेक्षा सेवा नियमावली की शर्तें पूर्ण करने पर आधारित है। पेंशन और वेतनमान का संशोधन अविभाज्य है और इसे करते हुए पेंशन की गणना इस तरह की जाए कि जारी पे बैंड और ग्रेड पे की न्यूनतम 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में मिले। इस निर्णय को आधार मानकर कर्मचारियों हेतु पेंशन लाभ प्रदेश में भी देने की मांग राजकीय प्रशिक्षित कला स्नातक संघ ने उठाई है।

उक्त मांग हिमाचल प्रदेश राजकीय प्रशिक्षित कला स्नातक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल, उपाध्यक्ष मदन, प्रदेश महासचिव विजय हीर, स्टेट प्रतिनिधि संजय ठाकुर, देश राज, संघ प्रचारक ओम प्रकाश, प्रेस सचिव पवन रांगड़ा, जिला इकाईयों के प्रधान विजय बरवाल, संजय चौधरी, रविन्द्र गुलेरिया, राकेश चौधरी, डॉ0 सुनील दत्त, नीरज भारद्वाज, रिग्ज़िन सैंडप, शेर सिंह, पुष्पराज खिमटा, रामकृष्ण, अमित छाबड़ा, देशराज शर्मा ने प्रदेश सरकार से की है। संघ ने कहा कि हिमाचल में भी पंजाब वेतन आयोग के संशोधित स्केल वर्ष 2016 से देय हैं और ऐसे में पेंशन की गणना सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्कूल प्रवक्ताओं के संदर्भ में दिए गए निर्णय के आधार पर की जानी चाहिए।

पेंशन कोई खैरात या इनाम नहीं है और बढ़ी हुई पेंशन नए स्केल अनुसार देना आवश्यक है । संघ महासचिव विजय हीर ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा सीपीएफ धारकों को वर्ष 2009 की अधिसूचना अनुसार मृत्यु या विकलांगता की स्थिति में पुरानी पेंशन के लाभ देने की अधिसूचना करना सराहनीय है। इधर पंजाब वेतन आयोग की रिपोर्ट में वर्णित 2.25 और 2.59 में से कोई एक विकल्प देने की अनिवार्यता वापिस करने के संदर्भ में पंजाब सरकार की कार्यवाही का संघ ने स्वागत किया है और वेतन आयोग लाभ गणना हेतु कर्मचारियों की सुविधा बारे सरकारी स्तर से गणक जारी करने की अपील की है।