‘चुनावी साल में कांग्रेस में आपसी खींचतान, र्शीष नेताओं की जुबानी तकरार खिला रही अलग ही गुल’

उज्जवल हिमाचल। शिमला

चुनावी साल में कांग्रेस में चल रही खींचतान से पार्टी का सत्ता में वापसी का सफर कठिन हो सकता है। कांग्रेस हाईकमान ने दिग्गज नेता स्व. वीरभद्र सिंह की आम जनता में छवि को देखते हुए प्रतिभा सिंह को हिमाचल में पार्टी की मुखिया बनाया। प्रतिभा सिंह संगठन में काम करने के लिहाज से बिल्कुल नई हैं। उन्होंने कभी संगठन में काम नहीं किया, लिहाजा संगठनात्मक कौशल और अनुभव के नाते वे अभी परिपक्व नहीं हैं। कांग्रेस अध्यक्ष को सभी को साथ लेकर चलने की कला में माहिर होना है। कमजोर मुखिया हो तो पार्टी में सभी मनमानी करते हैं। इसे कुछ उदाहरणों से समझा जा सकता है।

कुछ समय पहले ऊना में कांग्रेस के कार्यक्रम में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा समय में प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू का बयान खूब चर्चित रहा। सुक्खू ने कहा कि कोई व्यक्ति बड़ा नहीं होता, संगठन बड़ा होता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सर्वे के आधार पर टिकट फाइनल होगा। उसी कार्यक्रम में मौजूद नेता प्रतिपक्ष ने अपने संबोधन के दौरान मंच से कह डाला कि टिकट वितरण का क्या फॉर्मूला है, उन्हें नहीं पता, लेकिन हमारे विधायक यहां मौजूद हैं। उन्होंने सतपाल सिंह रायजादा का नाम लिया और कहा कि उनका टिकट फाइनल है। इस तरह मंच पर ही प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के सामने शीर्ष नेताओं की टकराहट देखने को मिली।

चुनावी साल में कांग्रेस की खींचतान:

उसके बाद सिरमौर कांग्रेस में तमाशा हुआ और हाल ही में कांग्रेस की प्रचार व प्रकाशन कमेटी के मुखिया पूर्व कैबिनेट मंत्री सुधीर शर्मा ने सभी को आदेश जारी किया कि कोई भी नेता व्यक्तिगत प्रचार नहीं करेगा। सुधीर ने आदेश जारी किया है कि कोई भी नेता यदि व्यक्तिगत प्रचार करना चाहता है तो उसे कमेटी से अनुमति लेनी होगी। उन्होंने आदेश की अवहेलना करने वालों पर एक्शन की बात भी कही।

इस तरह देखा जाए तो कांग्रेस में पावर गेम नए-नए रूप में सामने आती है। बड़ी बात ये है कि कांग्रेस पार्टी का सत्ता में वापसी का सपना तो है, लेकिन निजी तौर पर शीर्ष नेताओं की टकराहट अलग ही गुल खिला रही है। इस समय कांग्रेस में सीएम पद के कई दावेदार हैं। इनमें नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, पूर्व अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू, आशा कुमारी शामिल हैं।

सीएम की कुर्सी पर बैठना कौल सिंह ठाकुर का सपना:

यहां एक और तथ्य पर गौर करना जरूरी है। कांग्रेस के कद्दावर नेता कौल सिंह ठाकुर का सपना सीएम की कुर्सी का सदा से रहा है। सत्ता में रहते हुए वे कई बार कह चुके हैं कि उनमें क्या कमी है जो सीएम का पद नहीं संभाल सकते। वीरभद्र सिंह की मौजूदगी में कौल सिंह का ये सपना पूरा होना संभव नहीं था।

अब वे फिर से अपने पुराने संपर्कों की बदौलत रेस में आ सकते हैं। ये भी दिलचस्प बात है कि कौल सिंह ने राजनीति से रिटायरमेंट को लेकर कहा था कि 75 साल में राजनीति को अलविदा कह देना चाहिए। इस साल वे खुद 76 साल के हो जाएंगे, लेकिन राजनीति से शायद ही उनका मोह छूटे। वे सीएम पद के दावेदार जरूर होंगे।

वहीं, अंदरखाते ये भी चर्चा है कि सत्ता में वापसी पर कांग्रेस हाईकमान वीरभद्र सिंह के नाम पर सभी को एकजुट करने के लिए प्रतिभा सिंह के नाम का प्रस्ताव भी रख सकती है। कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर ध्यान दें तो नेता प्रतिपक्ष इस समय सीएम जयराम ठाकुर व भाजपा सरकार पर सबसे अधिक हमलावर हैं। वे हर जनसभा में सीएम को सीधे निशाने पर लेते हैं। मुकेश अग्निहोत्री सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव: यही नहीं, मुकेश अग्निहोत्री अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी बहुत सक्रिय हैं। वे अक्सर वीडियो के माध्यम से विभिन्न विषयों पर सरकार व सीएम को घेरते हैं।

साथ ही वे अपने निर्वाचन क्षेत्र हरोली को भी खूब स्पेस देते हैं। हरोली में उनकी धर्मपत्नी व बेटी भी कई कार्यक्रमों में शामिल होती हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि हरोली में जनसंपर्क अभियान में अपने परिजनों को सक्रिय कर मुकेश अग्निहोत्री स्वयं प्रदेश भर में प्रचार में जुटे हैं। उधर, सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी खूब सक्रिय हैं। सोशल मीडिया से लेकर प्रदेश भर में अपने समर्थकों को सक्रिय कर रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी में काफी संख्या में हैं सुक्खू के करीबी:

संगठन में सुक्खू के करीबी काफी संख्या में हैं। वे सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। मुख्य रूप से तो मुकेश अगिनहोत्री और सुखविंद्र सिंह सुक्खू ही रेस में हैं। ऐसे में चुनावी साल में पार्टी मुखिया प्रतिभा सिंह को सभी को महत्वाकांक्षाओं पर लगाम लगाने का कौशल दिखाना होगा। कारण ये है कि भाजपा अपने विरोधी दल में इसी बात को मुद्दा बनाएगी कि उनके वहां सीएम पद के कई दावेदार हैं। भाजपा ने काफी पहले से ये ऐलान कर दिया है कि चुनाव में जयराम ठाकुर की चेहरा होंगे।

हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती:

फिलहाल, कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती गुटबाजी को थामना होगी। सिरमौर कांग्रेस में तमाशा हो चुका है। इसके अलावा पार्टी के कार्यक्रमों में सभी के सुर एक जैसे नहीं होते हैं। प्रतिभा सिंह को सभी का नाथना होगा। ये सही है कि हिमाचल कांग्रेस में इस समय भी कोई नेता स्व. वीरभद्र सिंह की छवि के आगे बौना है। प्रदेश कांग्रेस में कोई कुछ भी कहे, लेकिन वीरभद्र सिंह का नाम आते ही सब चुप हो जाते हैं।

हाईकमान ने भी इस तथ्य को समझा है। यही कारण है कि प्रतिभा सिंह को अध्यक्ष घोषित करते समय उनके नाम को प्रतिभा वीरभद्र सिंह लिखा गया है। मुकेश अग्निहोत्री खुद कई मंचों से संबोधन के समय प्रतिभा वीरभद्र सिंह कहते हैं। कुल मिलाकर प्रतिभा सिंह के पास वीरभद्र सिंह के नाम की जो पूंजी है, उन्हें उसी के सहारे संगठन में गुटबाजी को थामना होगा।

क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ:

हिमाचल की राजनीति और खासकर कांग्रेस की रणनीतियों को करीब से परखने वाले वरिष्ठ मीडिया कर्मी उदय वीर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस में पहले वन मैन शो हुआ करता था। वीरभद्र सिंह की मौजूदगी में न तो कोई सीएम बनने की सोच सकता था और न ही खास प्रयास करता था। जिन्होंने भी ऐसा प्रयास किया, वीरभद्र सिंह के आगे वे चित्त हो गए। कौल सिंह, विद्या स्टोक्स व सुखराम जैसे उदाहरण सामने हैं, लेकिन अब स्थितियां बदली हैं। इस समय प्रतिभा सिंह के पास कमान है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती तो शीर्ष नेताओं की महत्वाकांक्षा पर लगाम लगाना है। कांग्रेस एकजुट होकर भी भाजपा के मिशन रिपीट के रथ को रोक सकती है।

वहीं, प्रतिभा सिंह जोर देकर कहती हैं कि एक परिवार में सदस्यों के बीच कई बातों पर अलग राय हो सकती है, लेकिन कांग्रेस एकजुट है और सत्ता में वापसी करेगी। फिलहाल, चुनावी साल में देखना है कि प्रतिभा सिंह के नेतृत्व और वीरभद्र सिंह की छवि के सहारे कांग्रेस सत्ता तक का सफर तय करने के लिए आने वाले समय में किस रणनीति पर चलती है।