एक बार फिर फूटा होमगार्ड जवानों का गुस्सा

शैलेश शर्मा। चंबा

66 वर्षाें से अपने हक की अग्नि को दिल में जलाए होमगार्ड संघ जवानों का गुस्सा एक बार फिर से दिल से बाहर निकला है। इन लोगों का कहना है कि होमगार्ड के जवान पिछले 66 वर्षों से अपने देश कि सेवा तो कर रहे हैं, पर आज तक इन लोगों को नियमित नहीं किया गया है। एसाेसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष का के कहना है कि और कई ऐसी एसाेसिएशन है, जो अपने हक की लड़ाई लड़ते-लड़ते अपने मंसूबों में कामयाब हो चुकी है, पर केवल एक हमारी संस्था ही एक ऐसी संस्था है, जिसको सरकार ने वर्षों से हमारे जवानों को झूठे लॉलीपॉप दिए हैं।

उन्होंने अब साफ शब्दों में सरकार को सचेत करते हुए कहा कि जल्द सरकार एस विषय में गंभीरता से नहीं सोचती है, तो मजबूरन हमें सरकार के खिलाफ बहुत सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं, पर हम अपना हक लेकर रहेंगे। अपने दिए गए बयान में होमगार्ड एसाेसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश चोबड़िया ने बताया कि आज जिस तरह से राज्य सरकार ने हमारे होमगार्ड जवानों के खिलाफ य बयान दिया है कि इनके लिए कोई स्थाई निति लागू नहीं होती है। उन्होंने कहा कि आज हमारे जवान हर स्तिथि में देह सेवा में लगे हुए हैं।

ऐसे में राज्य सरकार फिर किसके लिए स्थाई नीति को बना रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगते हुए कहा कि वैसे भी देखा जा सकता है कि सरकार अपने लिए हर एक दो वर्षाें में कोई न कोई नीति बनती ही है। पर इस राज्य में केवल होमगार्ड ही एक ऐसा विभाग है, जिसमें 57 वर्षों में कोई नीति नहीं बनाई गई है। उन्होंने प्रदेश सरकार निवेदन भी किया है और साथ ही चेताया भी है कि अगर राज्य सरकार हम होमगार्ड जवानों के लिए कोई स्थाई नीति बनती है, तो ठीक है अन्यथा हम तो पेंशन के भी हकदार है।

स्थाई नीति के भी हकदार और स्थाई पॉलिसी के भी हकदार के साथ साथ ईपीएफ के भी हकदार है और यह सब अपना हक लेकर रहेंगे। इन लोगों ने राज्य सरकार से विनती करते हुए कहा कि हम भी आपके ही परिवार का एक छोटा-सा हिस्सा है और इस एकलौते परिवार के साथ इस तरह का बर्ताव ठीक नहीं है। होमगार्ड एसाेसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश चोबड़िया ने प्रदेश सरकार से विनती की और कहा कि हमारे हित में एक उचित निरनय लिया जाए।

उन्होंने कहा कि कि यह भारत सरकार द्वारा 1966/67 में निर्णय लिया गया था, उसमें होमगार्ड को 60 वर्षाें तक रोजगार देने की बात की है और उसी तर्ज में 1980 में सीएनडी में आदेश पारित करने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि इसी तरह 2006 में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से परामर्श मांगा था कि कितने पैसों में एक होमगार्ड के जवान को एक सिपाई में तबदील किया जा सकता है, पर इसका किसी भी राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। अब यह लोग देश के प्रधानमंत्री से अपनी इस मांग देने वाले हैं।