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Saturday, May 11, 2024
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बच्‍चों में नींद न आने की समस्या में कारगर है होम्‍योपैथी

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

नींद लेना एक जरूरी कार्यप्रणाली है, जिससे आपको अपने शरीर और दिमाग को तरोताजा रखने में मदद मिलती है। इससे आपको सुबह ताजगी महसूस होती है और आप सक्रिय रहते हैं। अच्छी नींद आपके शरीर को तंदुरुस्त बनाती है और आपको बीमारियों से बचाती है।

पर्याप्त नींद ना लेने पर दिमाग सही तरीके से काम नहीं करता है। इससे आपको एकाग्रचित्त होने, स्पष्ट रूप से सोचने या चीजें याद रखने में परेशानी महसूस हो सकती है। एक औसत वयस्क के लिए रात में सात से नौ घंटे की नींद जरूरी होती है।

बच्चों और किशोरों को खासकर पांच से कम उम्र के बच्चों को और ज्यादा नींद जरूरी है। तो छोटे बच्चों को अगर है नींद न आने की समस्या तो जानें उपाय।

नींद न आने की समस्या तो जानें उपाय

पर्याप्त नींद ना लेने पर दिमाग सही तरीके से काम नहीं करता है। इससे आपको एकाग्रचित्त होने, स्पष्ट रूप से सोचने या चीजें याद रखने में परेशानी महसूस हो सकती है। महामारी ने लोगों के सोने के पैटर्न को नाटकीय रूप से बदल दिया खासकर बच्चों में।

नई पीढ़ी जिन्हें एक अनुशासित और तय दिनचर्या के साथ जीने की आदत थी, अचानक से उन्हें खूब सारा खाली समय मिल गया और अपनी ऊर्जा को खर्च करने का कोई तरीका नहीं था।

तब उन्होंने नया हानिकारक तरीका ढूंढ लिया जैसे पूरे दिन वीडियो गेम्स खेलना और अपने दोस्तों के साथ सुबह तक घंटों ग्रुप कॉल पर बातें करना। बेशक, सोशल डिस्टेंसिंग और स्कूलों का बंद होना इसके सबसे बड़े कारण रहे।

सोने के फायदे

सोने के अपने फायदे हैं, जैसे इससे जख्म भरते हैं, मांसपेशियां रिपेयर होती हैं, ऊर्जावान महसूस करते हैं, स्मृति बेहतर होती है, दिमाग और इम्युनिटी सक्रिय हो जाती है, इसलिए पूरे हफ्ते नींद जरूरी है।

नींद की कमी इम्युन सिस्टम के कमजोर होने, वजन बढ़ने, डिप्रेशन और कॉग्नेटिव क्षमताओं के बेमेल होने से संबंधित है। एक इंसान सामान्य परिस्थितियों में बिना भोजन के तीन सप्ताह से अधिक और पानी के बिना लगभग एक सप्ताह तक रह सकता है, लेकिन बिना सोए सिर्फ 20-25 घंटे तक।

नींद की परेशानी दूर करने के उपाय 

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा माना हुआ दूसरा मेडिकल साइंस, होम्योपैथी, नींद से जुड़ी परेशानियों के उपाय के लिए जाना जाता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्‍नोलॉजी की स्टडी के अनुसार, व्यक्तिगत होम्योपैथी नींद की कमी में काफी प्रभावी है।

जाने-माने रूसी जर्नल ‘हिंदवी’ के अनुसार ग्लाइसिन-आधारित दवाओं की तुलना में बच्चों में होम्योपैथी, स्लीप-डिसऑर्डर संबंधी परेशानियां कम करने में ज्यादा प्रभावी है। चूंकि, होम्योपैथी व्यक्ति-आधारित होता है, इसलिए कृपया खुद इलाज न करें।

किसी मान्यता प्राप्त होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श लें जो समस्या का निदान कर सकता है और एक उपयुक्त उपाय सुझा सकता है।