बाढ़ की भेंट चढ़ रही किसानाें की सैकड़ाें बीघा जमीन

चमेल सिंह देसाईक। शिलाई

आजादी के बाद दशकों बीत गए हैं कई बार ग्राम सभाओं सहित स्थानीय नेताओं को समस्या के समाधान की अपील की गई है, लेकिन किसानों की दुख्तीरत पर कोई मरहम लगाने वाला नहीं पहुंचा है मामला विकास खंड शिलाई व पांवटा साहिब के मध्य बहने वाले नेड़ा खड्ड का है, जहां हरवर्ष बरसात में किसानों की सैकड़ाें बीघा जमीन बाढ़ की जद में जा रही है। सबसे अधिक जमीन शिलाई मंडल की ग्राम पंचायत शिल्ला व शिलाई की आती है, जिनकी सड़कों बीघा जमीन बाड़ की चपेट चढ़ गई है तथा दर्जनों परिवार बेघर हो गए हैं।

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पिछ्ले वर्ष शिल्ला पंचायत की लगभग 70 बीघा भूमि बाढ़ लेकर गई है, जबकी टिम्बी से लेकर बलिकोटी व शरली पंचायत को मिलकर लगभग 200 बीघा जमीन जलमग्न हो गई है। क्षेत्र के किसान सरकार के सामने गुहार लगाती रहती है, लेकिन दर्द को जानने के लिए कोई प्रशासनिक अमला मौका पर नहीं पहुंचता है। अनदेखी के कारण इस बार किसानों को बाढ़ का डर दिन-रात सता रहा है।

क्षेत्रीय किसानों मे साधु राम, कल्याण सिंह, सुमेर चंद, कर्म सिंह, जगत सिंह, अनिल चौहान, खतरी राम, नीरज चौहान, सुनील चोहान, देवेंद्र सिंह व हरीश सिंह ने बताया कि नेडा खड्ड में पानी बढ़ने से हरवर्ष बरसात मे भूमि कटाव लगता है, जिसमें सैकड़ाें बीघा जमीन जलमग्न हो रही है। पुरा साल किसान खेतों को बनाने मे मेहनत करते हैं और एक ही माह के अंदर सब कुछ तबाह हो जाता है। किसानों के दर्जनों परिवार बाढ़ के कटाव से बेघर हो रहे हैं।

नेडा खड्ड मे सिंचाई की उचित व्यव्स्था रहती है तथा क्षेत्रीय लोगों की उपजाऊ जमीन खड्ड के किनारे ही स्थित है। धान, गेंहू, प्याज़, लहसुन की नगदी फसलों को उगाकर किसान गुजरा करते है, लेकिन बाढ़ के डर से किसान अपनी जमीनें अब बंजर छोड़ रहे हैं। करोड़ों रुपए की उपजाऊ भूमि कटाव की भेंट चढ़ चुकी है। बची भूमि पर बाड़ का र है। किसानों का पलायन रोकने मे स्थानीय प्रशासन व प्रदेश सरकार ठोस कदम नहीं पाई है। स्थानीय पंचायतों से कई बार बाढ़ रोकने के लिए प्रताव भेजे गए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।