पत्नी के साथ मारपीट और आत्महत्या के लिए मजबूर करने पर पति को 7 वर्ष का कठोर कारावास

उज्जवल हिमाचल। मंडी

मंडी जिला के अतिरिक्त सत्र न्यायधीश सुंदरनगर के न्यायालय ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण मामले में आरोपी रतन लाल को आईपीसी की धारा 498-ए में 2 और धारा 306 के तहत 7 वर्ष के कठोर कारावास के साथ जुर्माने की सजा सुनाई है। इसके साथ दोषी रतन लाल को जुर्माना अदा न करने की सूरत में 6 महीने के कठोर कारावास की सजा भी सुनाई गई है।

मामले में जानकारी देते हुए उप जिला न्यायवादी विनय वर्मा ने कहा कि शिकायतकर्ता 26 सितंबर 2012 को ओम प्रकाश पुत्र शाहू राम गावं खांदला डाकघर जाऊ तहसील गोहर जिला मंडी के बयान के आधार पर पुलिस थाना सुंदरनगर में रतन लाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता के अनुसार उसकी बेटी तेजी देवी की शादी वर्ष 2001 में रतन लाल पुत्र कृष्ण सिंह गांव पटकन डाकघर डैहर तहसील सुंदरनगर जिला मंडी से हुआ था।

विवाह के कुछ समय बाद ही रतन लाल तेजी देवी से मारपीट करने लगा व दहेज भी मांगने लगा। तेजी देवी ने कई बार अपने पिता को इस बात की जानकारी भी दी। तेजी देवी ने दोषी की मारपीट से तंग आकर अपने पिता के घर आ गई थी। इसके उपरांत परिजनों द्वारा उसे समझा-बुझा कर रिश्तेदारों के साथ रतन लाल के घर भेज दिया था। इसके उपरांत फिर से तेजी देवी के साथ मारपीट की। इसकी शिकयत तेजी देवी ने थाना गोहर भी गई थी।

वहीं 25 सितंबर 2012 को तेजी देवी के पिता को फोन के माध्यम से तेजी देवी की ससुराल में मौत होने की जानकारी प्राप्त हुई। शिकायतकर्ता जैसे ही अपनी बेटी के ससुराल पहुंचा तो उसने मृतिका तेजी देवी की पीठ पर डंडे के निशान तथा मुंह से झाग निकलना पाया। इसके उपरांत शिकायतकर्ता ने मृतिका तेजी देवी के पति के खिलाफ पुलिस थाना सुंदरनगर में एफआईआर दर्ज करवाया गया।

विनय वर्मा ने कहा कि मामले की जांच तत्कालीन थाना प्रभारी जगदीश चंद द्वारा अमल में लाई गई। पुलिस द्वारा जांच में पाया गया कि इससे पूर्व भी दोषी रतन लाल की दो पत्नियां उसकी मारपीट से तंग आकर उसे छोड़ कर चली गई थी। रतन लाल दहेज की मांग को लेकर तेजी देवी से भी मारपीट करता था और तेजी देवी की मौत से एक दिन पूर्व भी दोषी ने उसके साथ मारपीट की थी।

इसकी मारपीट से तंग आकर तेजी देवी ने 25 सितंबर 2012 को खेत में जाकर जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान दे दी गई। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा विभिन्न कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा कर चालान को न्यायालय के समक्ष में पेश किया गया।

उप जिला न्यायवादी विनय वर्मा ने कहा कि मामले में न्यायालय के समक्ष अभियोजन पक्ष द्वारा 17 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए। न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायधीश सुंदरनगर की अदालत ने दोषी रतन लाल पर आरोप सिद्ध होना पाए गए। उन्होंने कहा कि न्यायालय द्वारा दोषी को आईपीसी की धारा 498-ए में 2 और धारा 306 के तहत 7 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय द्वारा धारा 498-ए में 5 और धारा 306 में 10 हजार रुपए का जुर्माना भी किया गया है। वहीं दोषी द्वारा जुर्माना अदा न करने की सूरत में 6 महीने के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

संवाददाताः उमेश भारद्वाज

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