उज्जवल हिमाचल। डेस्क
अफगानिस्तान में मानवीय आधार पर मदद पहुंचाने के मुद्दे पर एकराय बनाने में भारत और पाकिस्तान को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसके लिए दोनों ही देश एक समान रणनीति अब तक नहीं बना सके हैं। पाकिस्तान की मीडिया के मुताबिक इसको लेकर मंथन जारी है। बता दें कि भारत अफगानिस्तान में मानवीय आधार पर मदद के तौर पर गेंहू भेज रहा है। इस शिपमेंट को पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान भेजा जाना है। इसकों पाकिस्तान में मौजूद भारतीय दूतावास के माध्यम से भेजा जाना है। इसके लिए शुरुआती तौर पर पाकिस्तान ने मंजूरी दे दी है।
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हालांकि पाकिस्तान का कहना है कि भारत से अफगानिस्तान भेजा जाने वाला ये गेंहू संयुक्त राष्ट्र के तहत इस्तेमाल आने वाले उनके ट्रकों में ही भेजा जाएगा। इन ट्रकों पर संयुक्त राष्ट्र का बैनर लगा होगा। पाकिस्तान की शर्त ये भी है कि भारत से जाने वाला गेंहू वघा बोर्डर पर पाकिस्तानी ट्रकों में लादा जाएगा और यही ट्रक इसको अफगानिस्तान लेकर जाएंगे। इस शिपमेंट के लिए भारत को कीमत चुकानी होगी। भारत से जाने वाले शिपमेंट की पहली खेप को 30 दिन के अंदर पूरा करेगा।
एक अनुमान के मुताबिक इस दौरान करीब 1200 ट्रकों में करीब 50 हजार मैट्रिक टन गेंहू अफगानिस्तान भेजा जाएगा, लेकिन डिप्लोमेटिक सूत्रों के हवाले कहा गया है कि भारत पाकिस्तान की लगाई इन शर्तों पर राजी नहीं है। भारत का कहना है कि मानवीय आधार पर भेजी जाने वाली मदद पर शर्त नहीं लगाई जा सकती है, ये गलत है। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ही पाकिस्तान ने भारत से अफगानिस्तान जाने वाली मानवीय मदद को लेकर अपनी मंजूरी प्रदान की थी। इसमें गेंहू के अलावा दूसरी तरह की चीजें भी भेजी जानी हैं।
भारत ने पिछले सप्ताह कहा था कि वो पाकिस्तान के फैसले और उसके रुख का इंतजार कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से कहा है कि मानवीय आधार पर दी जाने वाली मदद को शर्तों की पाबंदी में नहीं बांधा जा सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि भारत अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा है। उनको मानवीय सहायता की सख्त दरकार है। पाकिस्तान की शर्त पर भारत ने कहा कि अफगानिस्तान भेजी जाने वाली मदद उनके ट्रकों पर नहीं जाएगी, बल्कि इसके लिए भारत या फिर अफगानिस्तान के ट्रकों का ही इस्तेमाल किया जाएगा, लेकिन पाकिस्तान भी इस मुद्दे पर अपनी जिद पर अड़ा हुआ है।
हालांकि पाकिस्तान के अधिकारी का कहना है कि उन्होंने किसी तरह की कोई शर्त नहीं लगाई है, वो केवल इतना ही चाहते हैं कि शिपमेंट सही से अफगानिस्तान तक पहुंच जाए। गौरतलब है कि अफगानिस्तान के करीब 22.8 मिलियन लोग खाने की कमी से जूझ रहे हैं। विश्व खाद्य संगठन ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता जताई है और आगाह भी किया है।