हिमाचल के लिए इंदिरा गांधी के योगदान को नहीं जा सकता भुलाया: पठानिया

Indira Gandhi's contribution to Himachal cannot be forgotten: Pathania
शाहपुर ब्लॉक कांग्रेस ने इंदिरा गांधी की जंयती पर अर्पित की श्रधांजलि

शाहपुर : शाहपुर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत राणा की अध्यक्षता में आज पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की 105 बी जयंती के अबसर पर कांग्रेस कार्यालय रैत में कांग्रेस प्रत्याशी एवम केवल सिंह पठानिया ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर फूल अर्पित करके श्रधांजलि दी। इस दौरान पठानिया ने कार्यकर्ताओं को अपने संबोधन में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी 1959 और 1960 के दौरान इंदिरा चुनाव लड़ीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। उनका कार्यकाल घटनाविहीन था। वो अपने पिता के कर्मचारियों के प्रमुख की भूमिका निभा रहीं थीं। आज देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज जंयती है।

19 नवंबर को ही उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में इंदिरा का जन्म हुआ था। इंदिरा गांधी भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रही हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी को पहाड़ों से खास लगाव था। यही वजह थी कि जब भी उन्हें मौका मिलता वह यहां पहुंच जाती थीं। इंदिरा कई बार हिमाचल आई थीं। विशेषकर शिमला से उनका गहरा नाता रहा और यहां कई ऐतिहासिक समझौतों-फैसलों की गवाह बनीं। हिमाचल को हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच पूर्ण राज्यत्व का अधिकार मिला था। 25 जनवरी, 1971 को बर्फ के फाहों के बीच देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शिमला के रिज मैदान से ऐलान किया था। उन्होंने कहा था-‘मैं तो प्रदेश के लोगों को केवल शुभकामनाएं देने आई हूं। लोगों ने जिस साहस और बहादुरी से प्रदेश को मजबूत करने का काम किया है, वह अपने आप में मिसाल है।’

उन्होंने मंच से यह उम्मीद जताई थी कि भविष्य में लोग मेहनत और जज्बे से प्रदेश को आगे ले जाने का कार्य करेंगे। इंदिरा गांधी के इस ऐलान का 30 मिनट का वीडियो फुटेज आज भी मौजूद है। इसमें हिमाचल को पूर्ण राज्यत्व का दर्जा देने की घोषणा से लोगों में जबरदस्त उत्साह नजर आता है। कड़ाके की सर्दी के बीच भी प्रदेश भर की जनता इंदिरा को सुनने के लिए पहुंची थी। इस राज्य को बनाने में स्वतंत्रता सेनानी और सिरमौर के रहने वाले पूर्व मंख्यमंत्री एवं हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार की भूमिका महत्वपूर्ण थी।

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पूर्ण राज्यत्व बनने के बाद डॉ. वाईएस परमार ही पहले मुख्यमंत्री बने थे। कई दुर्लभ तस्वीरें आज भी इंदिरा गांधी के हिमाचल दौरे की यादों को ताजा करती हैं। इसमें पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के साथ हिमाचली टोपी पहने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भी कई दुर्लभ तस्वीरें शामिल हैं। पूर्व प्रधानमंत्री को हिमाचल के इन दो दिग्गज नेताओं पर बेहद भरोसा था। वह कई बार राजीव गांधी के साथ भी शिमला आई थीं और कई दिन हिमाचल में छुट्टियां बिताई। राजभवन में आज भी शिमला समझौते की निशानियां मौजूद हैं।

2 जुलाई 1972 को बार्नेस कोर्ट शिमला में यह समझौता भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुआ था। इस समझौते को दोनों देशों की संसदों में भी बहाल किया गया था। यह समझौता भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था। इसी समझौते में तय किया गया था कि दोनों देश शांतिपूर्ण माध्यम से अपने मसलों का समाधान करेंगे। तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं होने देने पर सहमति बनाई गई थी। यहां तक स्पष्ट किया गया कि खुद संयुक्त राष्ट्र संघ का भी दोनों देशों के मसलों खासकर कश्मीर मसले में हस्तक्षेप नहीं होगा। इसी समझौते में सीजफायर लाइन को लाइन ऑफ कंट्रोल में बदला गया था।

राजभवन शिमला में आज भी इस समझौते से संबंधित निशानियां मौजूद हैं। कई पर्यटक जब भी शिमला आते हैं तो वे शिमला समझौते से जुड़ी इन चीजों को देखने की इच्छा जताते हैं। राजभवन में सभी पर्यटकों का प्रवेश संभव नहीं है। इस मौके पर ब्लॉक् कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत राणा, सोशल मीडिया ब्लॉक् कांग्रेस अध्यक्ष विनय ठाकुर, पेंसनर संघ ब्लॉक् कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप बलोरिया, कुलभूषण चौहान, कमल कटोच पूर्व उप प्रधान, पंचायती राज सगठन ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष इकवाल सिंह मिंटा खेलकूद विभाग ब्लॉक् कांग्रेस अध्यक्ष विपल पटाकू, विवेक राणा, सुरेश मेहरा, कपिल कुमार, अनिल कुमार पूर्व वार्डपंच, कुलदीप कुमार पूर्व उप प्रधान आदि गणमान्य कांग्रेस जन मौजूद थे।

संवाददाता : ब्यूरो शाहपुर

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