जगन्नाथ पुरी धाम हिंदू धर्म में सबसे श्रेष्ठ और बेहद पवित्र स्थल,दर्शन मात्र से हो जाती है हर इच्छा पूरी

Jagannath Puri Dham is the best and most sacred place in Hinduism, every wish is fulfilled just by darshan
जगन्नाथ पुरी धाम हिंदू धर्म में सबसे श्रेष्ठ और बेहद पवित्र स्थल,दर्शन मात्र से हो जाती है हर इच्छा पूरी

उज्जवल हिमाचल। चंबा
आज हम अपने उज्जवल हिमाचल के दर्शकों को जगन्नाथ पुरी धाम के दर्शन करवाने जा रहे है। इससे पूर्व हमारी उज्जवल हिमाचल की टीम ने भगवान हरि तिरुपति बाला के दर्शन करवाए थे और आज हम भगवान जगन्नाथ के दर्शनों को करवाने जा रहे है।

आपको बता दे कि जगन्नाथ पुरी धाम हिंदू धर्म में सबसे श्रेष्ठ और बेहद पवित्र स्थलों में से एक स्थल माना जाता है। जोकि भगवान विष्णु जी को समर्पित है। पांच हजार वर्ष प्राचीन श्री हरि विष्णु जगन्नाथ धाम की इस पवित्र यात्रा को करने प्रतिवर्ष लाखों नही अपितु करोड़ों के हिसाब से देश-विदेश से श्रद्धालु इस पवित्र नगरी में पहुंचकर भगवान श्री हरि के चरणों में अपना शीश नवाकर अपने को धन्य करते है।

इस मंदिर की गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम जी एक साथ खड़े दिखाई देते है। आपको बता दे कि इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु रोजाना आते है और उनके खाने की व्यवस्था इसी मंदिर में ही की जाति है।

विधित रहे कि भगवान जगन्नाथ की रसोई जिसमें प्रतिदिन लाखों लोगों के लिए खाना बनाया जाता है और इस विशाल भंडारा को बनाने में रोजाना 500 रसोइए और उनके 300 सहायक इस महाप्रसाद को बनाते है और यह विशेष प्रसाद सारे का सारा मिट्टी के बर्तनो में ही बनाया जाता है और जिस बर्तन में खाना बनाया जाता है।

उसमें फिर दुबारा से खाना नहीं बनाया जाता है। माना जाता है कि यह रसोई विश्व की सबसे बड़ी रसोई में से एक है। इस मंदिर में सबसे विशेष बात एक और यह भी है कि रोजाना इस मंदिर में जिसकी ऊंचाई 214 फुट ऊंची है। उसके गुम्द्द पर रोजाना निश्चित समय पर झंडे की चढ़ाया जाता है और इस झंडे को मंदिर के पुजारी ही अपने हाथों से चढ़ाते है।

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आपको बता दे कि इस झंडे को चढ़ाने किसी सीढ़ी या फिर रस्सी का प्रयोग नहीं किया जाता है। बल्कि सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी पंडितों के आगे के वंशज इस झंडे की रस्म अदायगी को मंदिर की विपरीत दिशा यानी की उल्टे होकर मंदिर के ऊपर पहुंचकर करीब 11 फुट से भी ऊपर बने भगवान विष्णु जी के सुदर्शन चक्र के ऊपर इस झण्डे को लगाते है और इस प्रथा का निर्भयेन ठीक उसी तरह से किया जाता है, जिस तरह से इन पंडितों के पूर्वज सदियों पहले किया करते थे।

मिलो लंबे विशाल सुंदर किनारे के किनारे हजारों की संख्या में अठखेलियां करते करीब-करीब सभी लोग भगवान जगन्नाथ के दर्शनों को यहां आए हुए है। समुंद्र में खुशी-खुशी शमन कर रहे इन भगतजनों का कहना है कि हमें बहुत खुशी है कि भगवान जगन्नाथ स्वामी जी ने हमें यहां अपने दर्शनों को बुलाया है।

इन श्रद्धालुओं का कहना है कि भगवान जगन्नाथ जी के दर्शनों से पहले इसी सुंदर में स्नान करना पड़ता है। तत्पश्चात ही भगवान के दर्शनों को किया जाता है। चार लाख वर्ग फुट में फैला भगवान जगन्नाथ का यह भव्य और विशाल मंदिर जिसकी कल्पना मात्र से मनुष्य के पाप धुल जाते है, तो भला उनके दर्शन कर मनुष्य व उसकी जीव आत्मा को कैसा सकून मिलता होगा, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

माना जाता है कि भगवान श्री हरि विष्णु जब अपनी चार धाम यात्रा को जाते है, तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते है, तो पश्चिम में गुजरात की द्वारिका में वस्त्र पहनते है, पुरी में भगवान भोजन करते है, तो दक्षिण के रामेश्वरम में विश्राम करते है।

द्वापर में भगवान श्री कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ यानि की जगन्नाथ। पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। इस पवित्र धाम में भगवान श्री हरि जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सोभद्रा के साथ यहीं इस मंदिर में विराजते है।

माना जाता है कि कोई भी श्रद्धालु भले ही चार धाम की यात्रा करे या न करे परंतु अगर वह मात्र इस जगन्नाथ भगवान धाम की यात्रा को पूर्ण कर लेता है, तो उसको चार धामों का पुण्य प्राप्त होगा और अंत में वैकुंठ की प्राप्ति ही होती है।
उज्जवल हिमाचल की टीम को भगवान जगन्नाथ के पुजारी संतोष शर्मा ने संपूर्ण जानकारी दी।

संवाददाताः शैलेश शर्मा

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