भगवान शिव के इन स्वरूपों की पूजा से मिलेगा लाभ

उज्जवल हिमाचल। डेस्क….

तीनों लोकों के देव भगवान शिव की उपासना मूल रूप से तीन स्वरूपों में की जाती है। तीनों स्वरूपों की उपासना के लिए सावन का आज चौथा सोमवार काफी महत्वपूर्ण है। तीनों स्वरूपों की पूजा से सावन के चौथे सोमवार मनोकामनाओं की पूर्ति की जा सकती है।

महामृत्युंजय

भगवान शिव के मृत्युंजय स्वरूप की उपासना से अकाल मृत्यु से रक्षा, आयु रक्षा, स्वास्थ्य लाभ, और मनोकामना पूर्ति होती है। जिनकी उपासना करके मृत्यु तक को जीता जा सके, शिव जी का वह स्वरूप है- मृत्युंजय। सावन के सोमवार को भगवान शिव के मृत्युंजय स्वरूप की उपासना करने के लिए शिव लिंग पर बेल पत्र और जलधारा अर्पित करें।

नटराज

उन्होंने ऐसे नृत्यों का सृजन किया जिसका असर हमारे मन शरीर और आत्मा पर पड़ता है। शिव ने ही दुनिया में समस्त नृत्य संगीत और कला का आविष्कार किया है। जीवन में सुख और शांति के लिए तथा आनंद का अनुभव करने के लिए नटराज स्वरूप की पूजा की जाती है। ज्ञान, विज्ञान, कला, संगीत और अभिनय के क्षेत्र में सफलता के लिए भी इनकी पूजा उत्तम होती है।

नीलकंठ

समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला तो शिव जी ने मानवता की रक्षा के लिए उस विष को पी लिया। इस स्वरूप की उपासना करने से शत्रु बाधा, षड़यंत्र और तंत्र मंत्र जैसी चीजों का असर नहीं होता। नीला कंठ होने के कारण शिव जी के इस स्वरूप को नीलकंठ कहा जाता है। ग्रहों की हर बाधा समाप्त होगी। सावन के सोमवार को शिव जी के नीलकंठ स्वरूप की उपासना करने के लिए, शिव लिंग पर गन्ने का रस की धारा चढ़ाएं।

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