दियोटसिद्ध मंदिर के लंगर में जूठे बर्तनों में भोजन खाने को मजबूर श्रद्धालु

लंगर में न जूठन फैकने की व्यवस्था और न ही सफाई जांचने को कर्मचारी मौजूद

एसके शर्मा। हमीरपुर

उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में करोड़ों रूपए की लागत से न्यास प्रशासन ने लंगर भवन का निर्माण तो करवा दिया, लेकिन न्यास अधिकारी करोड़ों रूपए के लंगर भवन में पर्याप्त सुविधाएं मुहैया करवाना भूल चुके हैं। आलम यह है कि मंदिर न्यास के लंगर में भोजन खाने के उपरांत बर्तन साफ करने की सही व्यवस्था तक न्यास प्रशासन मुहैया नहीं करवा पा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को मजबूरी में आधे-अधूरे तरीके से बर्तन साफ करने को मजबूर हैं व इन्हीं आधे-अधूरे जूठे बर्तनों में अन्य श्रद्वालुओं को लंगर में भोजन खाना पड़ रहा है।

बताते चलें कि बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में न्यास के लंगर में प्रतिदिन हजारों श्रद्वालुओं को भोजन मुहैया करवाने का लक्ष्य तो रखा जा रहा है, लेकिन व्यवस्था के मामले में फिसड्डी होने के कारण लंगर की व्यवस्था सुचारू व व्यवस्थित तरीके से नहीं हो पा रही है। लंगर भवन में भोजन करने के उपरांत अगर कहीं बहुत जूठन रह जाती है, तो उसे व्यवस्थित तरीके से किसी पात्र में ठिकाने लगाने के लिए कोई प्रबंध नहीं है, जिस कारण सारी जूठन वहीं डाली जा रही है, जहां पर वर्तनों को साफ किया जा रहा है।

यानी जहां वर्तनों को साफ करने के लिए स्थान चिंहित है, उसी स्थान में मजबूरी में बचे भोजन की सारी जूठन को भी फैंका जा रहा है। करोड़ों रूपए के बजट वाले मंदिर न्यास के लंगर भवन में वर्तनों को साफ करने के लिए पर्याप्त सावुन या सर्फ भी मौजूद नहीं है। इस भवन में रोजाना सैकड़ों श्रद्वालुओं ने लंगर छकने के उपरांत वर्तन साफ करने होते हैं, लेकिन मौके पर सिर्फ 2-4 ही साबुन की टिक्कियां रखकर न्यास अधिकारियों ने अपने कर्तव्य से इतिश्री कर दी है।

गौर रहे कि लंगर भवन में पहले यह व्यवस्था होती थी कि बर्तन साफ करने के उपरांत उसे संक्रमण रहित करने के लिए एक घोल में भी डुबाेया जाता था, लेकिन इन दिनों न्यास ने उस व्यवस्था को भी बंद कर दिया है, जबकि आजकल कोरोना का भी भय है और धोए हुए बर्तनों को जांचने के लिए पहले एक कर्मचारी तैयान होता था, ताकि यह जांचा जा सके कि श्रद्वालुओं ने बर्तन सही तरीके से साफ किए है की नहीं, लेकिन अब धोए बर्तनों की जांच का काम भी बंद कर दिया है।

मंदिर न्यास के पास न तो बची हुई जूठन को ठिकाने लगाने की व्यवस्था है, न ही बर्तनों को धोने के लिए उचित मात्रा में साबुन व सर्फ है और न ही सैनेटाइज करने के घोल है। मंदिर में सबसे बड़ी बात यह है कि लंगर में असुविधाएं होने के बावजूद भी कोई भी पूछने वाला नहीं है कि लंगर में किस तरह की व्यवस्था चल रही है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं ने लंगर भवन में हर सुविधा मुहिया करवाने की मांग की है। उधर, मंदिर न्यास अध्यक्ष एवं एसडीएम बड़सर प्रदीप कुमार ने बताया कि इस बारे में बात ध्यान में आई है। उन्होंने कहा कि इन्हें जांचने के लिए मंदिर अधिकारी को निर्देश दिए जाएंगे।