मेजर नरेश चन्द शर्मा बने सफल किसान

शुभम शर्मा। रक्कड़

एक कहावत है कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता ये लोगों की सोच पर निर्भर करता है वो काम को किस नजरिये से देखते है। अगर आप पूरी ईमानदारी से किसी भी कार्य को करते है तो यकीनन सफलता एक दिन आपके कदम चूमती है।

जी हां बात कर रहे है ब्लाक खंड परागपुर के अन्तर्गत ग्राम पंचायत कौलापुर स्थित गांब दोदू राजपतां मे स्वर्गीय धुगंर राम शर्मा के घर जन्मे आर्मी से रिटायर हुए आडनरी सुबेदार मेजर नरेश चन्द शर्मा की । जिन्होंने करीब 22 वर्षो तक लगातार सरहद पर देश की सेवा करने के बाद खेती को अपनी अजीविका बना लिया।

वहीं 31 जनवरी 2012 मे सेना से रिटायर होने पश्चात किसान बने आडनरी सुबेदार मेजर नरेश चन्द शर्मा ने सब्जी उत्पादन व सेब आदि के पेड उगा कर खेतीबाडी में बड़ी -बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। इन दिनों नरेश चन्द शर्मा ने अपनी पांच से सात कनाल भूमि मे घीया, टमाटर, तोरी, करेला ,मीटर फली, बीनस, लौंकी, डानी सहित और भी कई तरह की मौसमी व बेमौसमी सब्जियां उगाकर क्षेत्रभर मे एक मिसाल कायम की है इसके इलावा रिटायर सैनिक ने लीचि, चीखू ,मौसमी, सन्तरा, सेब, गरगल, देशी व विदेशी थाईलैन निम्बू, लुगैंठ, सीताफल जूस, बाल बिल्ल कटहल, केला सहित चौसा, बाम्बे ग्रीन दौसहरी तोता देशी आदि आमों की भिन्न -भिन्न विराईटी तैयार की है ।

बचपन से ही खेतबाडी का शौक रखने बाले रिटायर सैनिक नरेश चन्द शर्मा ने ” पत्रकारों से रुबरु होते हुए कहा कि यहां हमारे बगीचे मे जब भी सब्जी या अन्य फल आदि की फसल तैयार होती है तो सबसे पहले अपने आस पडोस के लोगों को निशुल्क बाटनें के पश्चात यहां बाहर से आने बाले ब्यापारियों को बेची जाती है ।

  • हर वर्ष एक से दो लाख रुपये की होती है फसल की आमदनी

सेना से रिटायर होने के बाद किसान बने नरेश चन्द शर्मा ने बताया कि यहां अपने बगीचे मे पैदा की गई । सब्जी और फलों की हर वर्ष एक से दो लाख रुपये की मुझे आमदनी होती है। लिहाजा इस कमाई से होने वाली आमदनी का करीब दस से बीस प्रतिशत का हिस्सा गरीब लाचार लोगों की सुविधा हेतू खर्च देता हूं ।

  • देशी गौबर (खाद ) से ही उगाता हूं हर सब्जी व अन्य उत्पादन

नरेश चन्द शर्मा ने बताया है कि उन्होंने कभी भी अपने खेतों में बाजार या बाहरी राज्यों से मिलने वाली खाद का प्रयोग नहीं किया । हमेशा अपने पशुओं के देशी गौबर (खाद),के इस्तेमाल से ही सब्जियां पैदा की है । यही कारण है कि दूर दूर से सब्जी या फल बिक्रेता यहां बगीचे मे खुद पहुचं कर फसल की खरीददारी करने पहुचंते है ।