उज्जवल हिमाचल। बिलासपुर
बेबे मेरे शव को लेने तुम मत आना, छोटे भाई कुलवीर को भेज देना, अगर तुम आई, तो तुम रो दोगी और लोग कहेंगे की देखो भगत सिंह की मां रो रही है, महज 23 साल की उम्र में देश के आजादी रूपी यज्ञ में अपनी जान की आहुति देने वाले युवा भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव भले ही किसी पहचान के मोहताज न हो लेकिन यदि उनकी अनदेखी इसी प्रकार होती रही, तो वह दिन दूर नहीं कि इन रणबांकुरों की कहानियां भी समाप्त हो जाएंगी।
इसी आशय को जीवित रखने तथा नई पीढ़ी को इन जाबांज देशभक्तों के सर्वाेच्च बलिदान को याद करवाने के लिए नगर के डियारा सेक्टर के प्रसिद्ध रंगकर्मी तथा दूरदर्शी सोच रखने वाले ओम प्रकाश खजूरिया ने अपने परिवार के साथ इस दिन को यादगार बनाने के लिए भगत सिंह , राजगुरू और सुखदेव की झांकी निकाल कर समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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शहादत की यह झांकी बिलासपुर शहर के डियारा सेक्टर से होते हुए पूरे शहर की परिक्रमा करने के बाद वापस डियारा सेक्टर पहुंची। इस अवसर पर इस सोच को धरातल पर उतारने वाले ओम प्रकाश खजूरिया ने कहा कि ऐसे नौजवानों के बलिदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है।
शहीदों की शहादत पर छोटे-छोटे कार्यक्रम यदि होते रहें तो आने वाली नस्ल इन्हें याद कर खुद को गौरवान्वित महसूस करेगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन को चाहिए कि वे शहीदों की कुर्बानी को लेकर कार्यक्रम आयोजित करें। इस झांकी को बनाने में अनुज खजूरिया, पारूल चौहान आदि शामिल रहे।