उज्ज्वल हिमाचल। ज्वाली
लगभग दो साल पहले चक्की का रेलवे पुल भारी खनन के चलते जल प्रवाह हो गया था जिससे हिमाचल की रेल यात्रा में बाधा आ गई लेकिन कुछ समय पहले रेलवे विभाग ने नूरपुर रोड से बैजनाथ के लिए रेलवे चलाई। अब वो भी लगभग एक साल से बंद है। पठानकोट से जोगिंदरनगर तक चलने वाली रेल में बाधा आना केवल रेल विभाग में तैनात अधिकारियों की लापरवाही है। क्योंकि उन अधिकारियों का रेल चलने से कोई मतलब नहीं केबल उनका उद्देश्य रेल विभाग को लूटना है ।
ध्यान रहे कि चक्की के पुल में हुए नुकसान को अगर विभाग के अधिकारी समय रहते संभाल लेते तो आज यह दिन देखने को न मिलता। समय पर खनन माफियों पर शिंकजा नही कसा और पुल ढह गया।
अभी खनन माफियों की नजर देहर खड्ड पर बने पुल पर है । हर रोज देहर खड्ड पर बने पुल के ऊपरी और निचले तरफ ट्रैक्टरों का तांता लगा रहता है और पुल के पिलर भी काफी नंगे हो चुके है । विभाग के अधिकारी अपनी कुंभकर्णी नींद सोए हुए है । यही हाल रहा तो शीघ्र ही यह पुल भी चक्की पुल की तरह रेल को हिमाचल में आने की इजाजत नहीं देगा।
बड़े हैरत की बात है कि इस रेल पटरी पर हर साल विभाग द्वारा करोड़ों रुपए सरकार के लगाए जाते है क्योंकि कहीं डंगा ढह गया कहीं पुली बह गई सुनने को मिलती है और नतीजा कि रेल का आना जाना बंद। हर साल करोड़ों रुपए की चपत लगाने का मतलब क्या हुआ , क्या रेलवे की इंजिनियर निकम्मे है या काम की गुणवत्ता ठीक नहीं होती होगी । अति चिंता का विषय है।
वर्तमान में चक्की के पुल पर लगा काम कछुवे की चल चला हुआ है और दूसरा कांगड़ा के आसपास पिछली बरसात में स्लाइडिंग के चलते कुछ नुकसान हुआ था उसका काम चल रहा है लेकिन उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है। लोगों ने रेल मंत्री अश्वनी बैषणव और डिवीजन फिरोजपुर डीआरएम संजय साहू से गुहार लगाई है कि पहाड़ की रानी छुक छुक को चक्की के पुल के निर्माण तक नूरपुर रोड से बैजनाथ तक शीघ्रातिशीघ्र चलाया जाए ताकि गरीब लोगों को आने जाने में सुविधा मिल सके और दूसरा खनन माफिया के ऊपर शिकंजा कसा जाए और पठानकोट से जोगिंदर नगर पटरी पर हो रहे कामों की किसी अन्य एजेंसी से गुणवत्ता की जांच करवाई जाए । घटिया मैटीरियल साबित होने की सूरत पर कड़ा संज्ञान लिया जाए ताकि भविष्य में फजूली खर्चे से राहत मिल सके ।