पौराणिक आयुर्वेदिक पंचकर्मा विधि ने दिया अनिल शर्मा को नया जीवन

अमरप्रीत सिंह सोनी। सोलन

आयुर्वेद, योग प्राणायाम पौराणिक विधाओं का प्रयोग यदि उचित चिकित्सक की देखरेख में हो तो वह व्यक्ति को नवजीवन दे सकती है। इसका जीता जागता प्रमाण सोलन के जिला आयुर्वेदिक अस्पताल सोलन में देखने को मिल रहा है। जहां पर शिमला जिला के संजौली निवासी अनिल शर्मा ऐसी हालत में पहुंचे थे जब चह चलने फिरने में पूरी तरह से अक्षम थे पक्षाघात के कारण बोल भी नहीं सकते थे दूसरे व्यक्ति के दम पर अस्पताल में बुरी हालत में पहुंचे थे। लेकिन आयुर्वेदिक अस्पताल में इन्हे जब चिकित्सकों ने दाखिल किया व इनका पंचकर्म व दवाइयों से इलाज किया तो आज अनिल शर्मा पूरी तरह से स्वस्थ है। व कह रहे है कि उन्हे नवजीवन मिला है।

अनिल शर्मा को ये तक कह दिया था कि अब आपके घुटने बदलने पड़ेंगे । लेकिन आयुर्वेदिक अस्पताल में इन्हे जब चिकित्सकों ने दाखिल किया व इनका पंचकर्म व दवाइयों से इलाज किया तो आज अनिल शर्मा पूरी तरह से स्वस्थ हैं व कह रहे हैं कि उन्हे नवजीवन मिला है।

जिला आयुर्वेदिक अधिकारी देशराज वर्मा ने बताया कि पंचकर्म विधी पौराणिक विधा है व इसका लाभ सोलन आयुर्वेदिक अस्पताल में प्रतिदिन दर्जन भर से अधिक मरीज करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनिल शर्मा की हालत जब वह आये तो दयनीय थी लेकिन उचित के उचित परामर्श व पंचकर्म विधी ने उन्हें आज स्वस्थय कर दिया है।

निश्चित तौर पर आयुर्वेदिक विधा भले ही बीमारी को ठीक करने में समय ले लेकिन उसका जड से इलाज करती है। यदि पक्षाघात, सरवाईकल सहित अन्य दर्द की बीमारियां है तो लोग आयुर्वेदिक विधा में इसका इलाज करवा सकते है।