कोरोना भी नहीं ताेड़ पाया इंजीनियरों का जुनून

उज्जवल हिमाचल। जम्मू

कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत को एक करने के रेलवे इंजीनियरों के जुनून को सलाम है। सामने पहाड़ सी चुनौतियां थी, लेकिन इंजीनियरों के हौसले बुलंद रहे। कभी पहाड़ खिसकने की चिंता तो कभी अचानक झरने फूटना। तमाम चुनौतियों से जूझते रहे। जब कार्य गति पकड़ने लगा, तो कोरोना ने झटके देने आरंभ कर दिए। यह झटके भी हौंसला नहीं तोड़ पाए और इस प्रोजेक्‍ट के महारथी लड़ते हुए आगे बढ़ते रहे।

गत वर्ष कोरोना से सब कुछ थम सा गया, लेकिन देश की महत्वाकांक्षी रेल परियोजना में निर्माण कुछ एहतियात बरतते हुए जारी रहा। इस दौरान एक-एक कर 366 इंजीनियर कोरोना से संक्रमित हो गए, पर कार्य बंद नहीं होने हुआ। क्‍वारंटाइन में रहकर भी इंजीनियर हो या श्रमिक मोबाइल से वीडियो काल कर दिशा-निर्देश जारी करते रहे और काम चलता रहा।

ऐसे जुझारू दल की बदौलत ही जम्मू से बारामुला रेल ट्रैक का कार्य अब अंतिम चरण में पहुंचता दिख रहा है। कश्मीर की वादियों में ट्रेन की गूंज एक दशक पहले ही सुनाई देने लग गई थी पर ट्रैक पर सबसे बड़ी चुनौती पीर पंजाल की पहाडिय़ों को काटकर और वहां के दरियाओं को नापकर दर्जनों सुरंग और पुल बनाने की थी। ऊधमपुर से बनिहाल तक का यह रेल लिंक एक और कुदरत की चुनौती को बौना साबित करने की इंसानी जिद की मिसाल है और वहीं देश के इंजीनियरिंग कौशल का नायाब नमूना भी।

रेलवे अफसरों की मानें तो लॉकडाउन में रेलवे को कुछ स्टाफ कम करना पड़ा था, लेकिन इंजीनियरों के जज्बे ने काम की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगने दी। इसके परिणाम अब दिखने लगे हैंं। विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल की आर्च का 95 फीसद निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अब देश के पहले केबल ब्रिज अंजी पुल का निर्माण तेजी से चल रहा है। इस ट्रैक की बड़ी चुनौतियों में शामिल दोनों महत्वपूर्ण पुलों का कार्य इस वर्ष के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे ट्रैक का कार्य पूरा करने की डेडलाइन 15 अगस्‍त 2022 तय की है।

नार्दन रेलवे के जनरल मैनेजर आशुतोष गंगल ने बताया कि 111 किलोमीटर लंबे कटड़ा-बनिहाल रेल सेक्शन में निर्माण कार्य के दौरान रेलवे के 366 इंजीनियर और कर्मी कोरोना संक्रमित हो गए। रियासी और रामबन जिले महीनों तक रेड जोन में रहे और इन जिलों में ही सबसे अधिक सुरंगे और पुल बन रहे हैं। रेलवे ने कर्मचारियों की सुविधाओं को देख निर्माण स्थल पर ही आइसोलेशन सेंटर बना दिए।

कुशल कर्मियों का अलग से कैंप बनाया हैं। रेलवे कर्मियों की मेहनत व कार्य निष्ठा के चलते कठिन हालात में बन रहे कटड़ा बनिहाल रेल सेक्शन का निर्माण चलता रहा। रेलवे की तीन एजेंसियों इरकान, केआरसीएल और नार्दर्न रेलवे इस महत्वाकांक्षी परियोजना में अहम भूमिका निभा रही हैं।