टांडा अस्पताल में “प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान” कार्यशाला का आयोजन

टीबी के उन्मूलन में निक्षय मित्र योजना मददगार
उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत आज डॉ राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा के लाइब्रेरी हॉल में प्रिंसिपल आरपीजीएमसी टांडा डॉ भानु अवस्थी की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन हुआ। डॉ भानु ने बताया की भारत सरकार ने देश से टीबी की बीमारी को हराने का संकल्प लिया है, और 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। हाल ही में देश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान लांच किया गया है। इस अभियान को जन-आंदोलन बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए निक्षय मित्र योजना की भी शुरुआत की गई है।

इस योजना की खास बात ये है कि टीबी के खिलाफ इस जंग में आम आदमी भी अपना योगदान दे सकता है। अभियान के तहत निक्षय मित्र बनने वाले व्यक्ति या संस्थान मरीजों को पोषण, डायग्नोस्टिक और रोजगार के स्तर पर मदद कर उनसे सच्ची मित्रता निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि टीबी रोग के उन्मूलन में सामान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, गैर सरकारी संस्थान, कॉर्पोरेट संस्थान अपनी मजबूत भागीदारी निभा सकते हैं। इसके लिए सरकार “निक्षय मित्र” बनने का मौका दे रही है।

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अभियान के तहत निक्षय मित्र बनने वाले व्यक्ति या संस्थान मरीजों को पोषण, डायग्नोस्टिक और रोजगार के स्तर पर मदद कर उनसे सच्ची मित्रता निभा सकते हैंl मेडिकल सुपरिंटेंडेंट आरपीजीएमसी टांडा डॉ मोहन ने बताया की इस अभियान को जन-आंदोलन बनाकर लोगों में टीबी के बारे में जागरूकता पैदा की जाएगी कि इस बीमारी की रोकथाम संभव है। इसका इलाज प्रभावी और सुलभ है तथा सरकार इस बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए निःशुल्क सुविधा प्रदान करती है।

इस मौके पर डब्ल्यूएचओ कंसलटेंट टीवी प्रोग्राम के टेक्निकल विशेषज्ञ डॉ रविंदर ने इंडोर वार्ड स्क्रीनिंग की महत्तवता को नर्सिंग ऑफिसर्स को बताया की जब मरीज वार्ड में दाखिल होता है तो उसकी टीबी की स्क्रीनिंग करनी हैं और मरीज में अगर लक्षण है तो उसका जांच के लिए नमूना प्रयोगशाला को भेजना है। टीबी की रोकथाम चिकित्सा के बारे में उन्होंने बताया की जो घर के सदस्य टीबी के मरीज के संपर्क में हैं उनकी स्क्रीनिंग कर के टीबी त्वचा परीक्षण किया जाता है और पॉजिटिव आने के बाद टीबी से बचाव की दवाई 6 महीने तक दी जाती है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर राजेश सूद ने बताया कि अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ रोगियों और समुदायों में टीबी कि बीमारी को लेकर हीन भावना है और लोग इस बीमारी को कलंक के रूप में देखते हैं। यह भ्रम दूर करना होगा। सभी को यह जानकारी होनी चाहिए कि टीबी के कीटाणु हर व्यक्ति के शरीर में मौजूद होते हैं। किसी कारणवश जब किसी व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो व्यक्ति में यह रोग दिखता है। इलाज से इस बीमारी से जरूर छुटकारा मिल सकता है। ये सभी बातें लोगों तक पहुंचने के बाद ही टीबी से प्रभावित लोग इलाज की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।

उन्होंने कहा कि अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में या शहरी क्षेत्रों में भी लापरवाही की वजह से टीबी के मरीज बीच में ही अपना इलाज छोड़ देते हैं। टीबी के वायरस कई प्रकार के होते हैं। ऐसे में इनके इलाज और दवा की अवधि भी अलग होती है और व्यक्ति के खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है। जिससे उसके अंदर संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। इलाज पूरा न होने और दवा सही समय पर न खाने से मरीज के अंदर का टीबी वायरस खत्म नहीं होता और दूसरे भी संपर्क में आकर संक्रमित हो सकते हैं।

ऐसे में सरकार की गोद लेने की यह पहल भारत को टीबी मुक्त करने में बड़ा योगदान देगी। हालांकि ये प्रक्रिया मरीज के स्वेच्छा और उसकी अनुमति पर ही होगी। उन्होंने कहां की इस अभियान से जुड़ने और निश्चय मित्र बनने के लिए सबसे पहले communitysupport.nikshay.in पर लॉगिन करना होगा। इसके बाद प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान पर क्लिक करें। फिर निक्षय मित्र रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कर इस अभियान से जुड़ सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद सुविधानुसार निक्षय सहायता के लिए टीबी रोगियों का चयन किया जा सकता है।

जिला कांगडा में अभी तक 302 निक्षय मित्र का पंजीकरण हुआ है, निक्ष्य मित्रों के द्वारा 1050 मरीजों को गोद लिया गया है। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में टीबी की बीमारी से जुड़ी हर तरह की जानकारी के लिए निक्षय हेल्पलाइन नंबर 1800-11-6666 पर भी संपर्क कर सकते हैं। टीबी बीमारी कैसे होती है, टीबी कितने प्रकार की होती है, टीबी से बचाव, इलाज, दवा संबंधी सभी प्रकार की जानकारी निक्षय हेल्पलाइन नंबर पर प्राप्त कर सकते है।

उन्होंने सभागार में उपस्थित नर्सिंग ऑफिसर्स से अपील कि निक्षय मित्र बनकर टीबी रोगियों की सहायता करने का संकल्प लें और टीवी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाएं। इस मौक पर जिला कार्यक्रम समन्वयक संजीव कुमार और टांडा मेडिकल के अलग-अलग वार्ड के नर्सिंग ऑफिसर उपस्थित रहे।

ब्यूरो रिपोर्ट कांगड़ा

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