नारी सशक्तिकरण के लिए संजय के सशक्त प्रयास दिखने लगे यथार्थ के धरातल पर

डेढ़ लाख सैनिटरी पैड्स निशुल्क सैनिटरी पैड्स वितरित करके पराशर ने बनाया रिकार्ड

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

नारी सशक्तीकरण को लेकर कैप्टन संजय बड़ी व सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। यह पराशर की ही प्रयास रहे कि कोरोनाकाल के शुरू होने के बाद उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों मेंनिशुल्क डेढ़ लाख सैनिटरी पैड्स वितरित करने का रिकार्ड बना दिया है। पराशर की पत्नी सोनिका खुद ने इस प्राेजेक्ट की कमाल संभाली है और वह खुद गांवों का दौरा कर इस महाअभियान को मूर्त रूप दे रही हैं। महिलाओं को समाज व विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पराशर द्वारा यैनिटरी पैड्स वितरित करने का अभियान अब 116 गांवों तक जा पहुंचा है और इसके तहत जसवां-परागपुर क्षेत्र की हर पंचायत को कवर करने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल तमाम सामाजिक सरोकारोें के बीच संजय पराशर ने आधी दुनिया के उत्थान के लिए जो विजन रखा था, उसके यथार्थ के धरातल पर सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।

काेरोना का कहर शुरू होने के बाद पराशर ने चिंतपूर्णी कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं की परीक्षा फीस एकमुश्त भरी थी तो इसी कॉलेज के भवन केे जीर्णोद्धार के लिए 27.62 लाख रूपए खर्च किए। संजय ने क्षेत्र के बेटियों के हित के लिए इस महाविद्यालय के लिए इसलिए अुनदान दिया ताकि संसाधनों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। इसी का नतीजा रहा कि महाविद्यालय में छात्राओं कह संख्या पहले से अधिक बढ़ी है। कोरोना की दूसरी लहर में चमेटी गांव की महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप की भी संजय ने खुलकर मदद की और उनके द्वारा बनाए गए प्राकृतिक उत्पाद खरीदकर कोरोना संक्रमित मरीजों में भी निशुल्क वितरित किए। इतना ही नहीं उक्त उत्पाद बिक्री के लिए गुजरात के अहमदाबाद में भी भेजे। जसवां.परागपुर क्षेत्र में निशुल्क सैनिटरी पैड्स वितरित करने का अभियान चला रखा हैए जिसके अंर्तगत अब तक 153ए765 सैनिटरी नैपकिन महिलाओं व किशोरियों में अब तक बांटे जा चुके हैं।

वहीं, पराशर द्वारा आयोजित चिकित्सा शिविरों में महिलाओं की ही ज्यादा उपस्थिति दर्ज होती रही है। अब तक कुल लगे बीस मेडकील कैंपों में साढ़े नौ हजार से ज्यादा महिला लाभार्थी पहुंचीं। निराश्रित महिलाओं के लिए भी संजय पेंशन और उनके बच्चों को स्कॉलरशिप प्रदान कर रहे हैं। ऐसी 132 महिलाओं व उनके बच्चों को सहायता प्रदान की जा रही है। संजय ने महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए स्वाणा में एक लघु उद्योग स्थापित किया है तो दूसरा ऐसा प्राेजेक्ट शांतला के निहारी गांव में शीघ्र ही खोला जाएगा। इसके अलावा पराशर ने ऐसी निराश्रित महिलाओं को प्रेशर कुकर देने के बाद मासिक पेंशन भी दे रहे हैं।

बड़ी बात यह भी है कि अब मर्चेंट नेवी में युवतियों की भर्ती के लिए भी पराशर ने प्रयास तेज कर दिए हैं। इस वर्ष से मर्चेंट नेवी में जसवां-परागपुर क्षेत्र की बेटियो को रोजगार दिलावाने के लिए कैप्टन संजय ने खाका तैयार कर लिया है। कैप्टन संजय का कहना है कि जिस समाज में महिलाओं का सम्मान होता हैए वहां पर प्रगति भी तेजी से होती है। कोरोनाकाल के बाद हालात तेजी से बदले हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में कई परिवारों की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसे में महिलाओं के हित के लिए उन्होंने 12 प्रोजेक्टस पर जो कार्य शुरू किया थाए उसके तहत जसवां-परागपुर के हर गांव में नारी सशक्तीकरण की दिशा में सशक्त प्रयास किए जा रहे हैं।