एसएफआई ने पीएचडी में बिना प्रवेश परीक्षा दाखिले के खिलाफ किया प्रदर्शन

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

विश्वविद्यालय में एसएफआई इकाई ने PhD के अंदर बिना प्रवेश परीक्षा के हुए दाखिलों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। एसएफआई ने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय लगातार भ्रष्टाचार का अखाड़ा बनता हुआ नजर आ रहा है और कुछ भ्रष्ट अधिकारी विश्वविद्यालय की साख को धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं और विश्वविद्यालय के अंदर लगातार पीएचडी के अंदर अपने चहेतों को बैक डोर तरीके से भर्ती किया जा रहा है, जहां एक और आम छात्र के लिए पीएचडी में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है या नेट जेआरएफ जैसी परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है। वहीं, विश्वविद्यालय ने एक नया शिगूफा छोड़ते हुए विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के बच्चों को सिर्फ 100,000 देकर बिना प्रवेश परीक्षा की पीएचडी में दाखिला दे दिया।

कैंपस अध्यक्ष विवेक राज ने कहा की इससे ज्यादा शर्मनाक बात विश्वविद्यालय के लिए नहीं हो सकती जहां एक और एक आम छात्र दिन-रात एक करके विषम परिस्थितियों के अंदर पीएचडी में दाखिला लेने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है, उनको बिल्कुल दरकिनार करते हुए सिर्फ अपने चहेतों को दाखिला दे दिया और उसमें भी कोई विज्ञापन इन सीटों को लेकर जारी नहीं किया गया और ये कोई पहली बारी नहीं है, जब ऐसी धांधलियां PhD के अंदर हुई हैं। दीन दयाल उपाध्याय पीठ के अंदर भी सिर्फ एक विशेष विचारधारा के लोगों को भर्ती किया गया, जिसमें कोई भी advertisement नहीं निकाली गई। कैंपस सचिव रॉकी ने कहा की विश्वविद्यालय प्रशासन ने भारी विरोध के बाद एक बचकाना स्पष्टीकरण जारी किया और जिस में कहा कि इससे विश्वविद्यालय के निम्न वर्ग के कर्मचारियों के बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल करने में सहायता मिलेगी, बड़ी हैरानी की बात है कि PhD में दाखिला लेने के लिए वाइस चांसलर को भी निम्न श्रेणी के कर्मचारी में सम्मिलित कर दिया।

एसएफआई ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय की रैंकिंग के अंदर गिरावट के लिए भी ऐसे ही भ्रष्ट अधिकारी और उनके कारनामे जिम्मेदार हैं और इसमें विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पूरी तरह से चरमराई हुई हैं, जहां एक ओर सब्सिडाइज्ड सीटों को खत्म करके सिर्फ नॉन सब्सिडाइज सीटों को विभागों के अंदर बार-बार बढ़ाया जा रहा है, ताकि छात्रों से भारी-भरकम फीस लूटी जा सके। लगभग पिछले एक महीने से विश्वविद्यालय के अंदर प्रवेश परीक्षा के परिणाम बहुत सारे डिपार्टमेंट के घोषित नहीं हो पाए हैं। विश्वविद्यालय के अंदर हॉस्टल आवंटन की प्रक्रिया ज्यों की त्यों शिथिल पड़ी है, विश्वविद्यालय का इआरपी सिस्टम छात्रों कर्मचारियों को प्रताड़ित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है, विश्व विद्यालय की 24 सेक्शन लाइब्रेरी को छात्रों के लिए बंद कर दिया है।

इन सब मूलभूत मांगों से छात्रों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसे तानाशाही और फिजूल के काम किए जा रहे हैं। एसएफआई ने मांग उठाई की छात्रों को प्रोत्साहित करने के बजाए विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर रहा है और जो अपने चहेतों को बिना किसी क्राइटेरिया के पीएचडी में दाखिले दे रहे हैं। अगर इस फैसले को जल्द वापस नहीं लिया गया, तो आने वाला समय के अंदर ये आंदोलन और उग्र होगा और भ्रष्ट अधिकारियों का घेराव किया जाएगा।