स्मार्ट सिटी धर्मशाला : अपना घर बना ना सके, शहर बसाएंगे कैसे ?

उज्जवल हिमाचल ब्यूरो। धर्मशाला

अपना घर बना ना सके, शहर बसाएंगे कैसे, जी हां यही सवाल है जिसका जवाब धर्मशाला की जनता ढूंढ रही है। पिछले तीन साल से जनता इस सवाल का जवाब ढूंढ रही है कि आखिर कब धर्मशाला स्मार्ट सिटी बनेगा। जिस धर्मशाला को स्मार्ट सिटी बनाने का जिम्मा धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के जिम्मे सौंपा गया है, अब तक उसका अपना ठिकाना ही नहीं बन पाया है तो शहर के स्मार्ट बनने में कितना वक्त लगेगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। चुनावी दौर में स्मार्ट सिटी नेताओं के भाषण का एक अभिन्न और महत्वपूर्ण अंग जरूर बन गया है लेकिन एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप यह समझाने के लिए काफी हैं कि आखिर स्मार्ट सिटी किस हाल में है। जिस स्मार्ट सिटी लिमिटेड का एक स्मार्ट ऑफिस होना था अभी वह ही अपने बनने की राह ताक रहा है तो शहर को कितना इंतजार करना होगा यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।

मई 2016 को धर्मशाला स्मार्ट सिटी की अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन 4 साल बाद भी स्मार्ट परियोजनाओं के शुरू न होने से शहरवासी भी हैरान हैं। स्मार्ट सिटी के तहत 32 स्मार्ट परियोजनाओं के तहत विकास कार्य होने हैं, लेकिन वर्तमान में एक भी बड़ी परियोजना शुरू नहीं हो पाई है।जब धर्मशाला को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया गया तो तत्कालीन कांग्रेस की सरकार इसका सेहरा अपने सिर बांधने का पूरा प्रयास करती रही। वहीं दूसरी ओर भाजपाई भी इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिया गया तोहफा बताकर जनता को रिझाने में लगे रहे। विधानसभा चुनाव आने तक यह बधाई देने और बधाई लेने का सिलसिला चलता रहा और चुनावों में भी इसका खूब जिक्र हुआ। खैर चुनाव हुए कांग्रेस की इनमें हार हुई और भाजपा की जीत, फिर नया सिलसिला शुरू हो गया। कांग्रेस आरोप लगाती रही कि भाजपा स्मार्ट सिटी के काम रोक रही है। वहीं भाजपा का यह राग था कि कांग्रेस ने कुछ कागजी काम भी किया ही नहीं है तो धरातल पर काम कैसे हो। कभी बात प्रदेश के हिस्से के पैसे की निकली तो कभी कुछ और लेकिन नतीजा यह हुआ कि स्मार्ट सिटी, स्मार्ट नहीं हो पाई।

लोकसभा चुनाव आए तो स्मार्ट सिटी फिर से चुनावी भाषणों में खूब गूंजी। प्रधानमंत्री का आभार और कांग्रेस का किया बंटाधार भाजपा की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा रहे। कांग्रेस ने भी आरोप यही लगाया कि उसने तो स्मार्ट सिटी मंजूर करवा दी लेकिन भाजपा कुछ नहीं कर रही। चुनाव निपट गए और कांग्रेस भी लेकिन स्मार्ट सिटी फिर से फाइलों में दफन होकर रह गई। मौका उप चुनाव का आया तो स्मार्ट सिटी का जिन्न फिर से निकला और बाकायदा कुछ दीवारों पर उद्घाटन पट्टिकाओं के रूप में भी दिखा। जिस गति से यह उद्घाटन पटि्काएं बनीं उन्हें देखकर लग रहा था कि उपचुनाव खत्म होने से पहले स्मार्ट सिटी बन जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। आरोप-प्रत्यारोप लगे, सपने दिखाए गए लेकिन धर्मशाला स्मार्ट सिटी नहीं बन पाया। अब भी कुछ कार्यों का हवाला दिया जाता है जिससे यह बताने का प्रयास किया जाता है कि धर्मशाला को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है पर वह नाकाफी है। अब एक बार फिर से यह जिन्न बाहर निकला है और देखना यह है कि क्या अब भी इसकी कोई ईंट पट्टिकाओं से आगे भी कहीं लग पाएगी अथवा नहीं।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्मार्ट सिटी की विभिन्न परियोजनाओं स्मार्ट रोड समेत अन्यों के शिलान्यास तो किए, लेकिन ये अब तक अधर में हैं। इसके बाद प्रदेश सरकार ने हिमुडा के एमडी के नेतृत्व में टेक्निकल सेक्शन कमेटी का गठन किया, जिसने स्मार्ट रोड व पब्लिक बाइक शेयङ्क्षरग परियोजनाओं को मंजूरी तो दी, लेकिन सबसे बड़ी परियोजना को अभी तक तकनीकी मंजूरी नहीं मिल है। इसमें कमान एंड कंट्रोल सेंटर परियोजना भी शामिल है और इसके तहत धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कार्यालय के अलावा नगर निगम के महापौर का कार्यालय, सीसीटीवी, ट्रैफिक कंट्रोल, भूमिगत कूड़ेदानों की मौजूदा स्थिति व सोलर टॉप रूफ से पैदा होने वाली बिजली की स्थिति सहित अन्य सुविधाओं का नियंत्रण एक ही स्थान पर होना है।