किसने शांत की ध्वाला की धधकती ज्वाला….

राजनीतिक संवाददाता….

ज्वालामुखी के विधायक रमेश ध्वाला की धधकती ज्वाला का आखिर किसने और कैसे शांत किया, यह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है। अचानक से आक्रामक हुए ध्वाला से जहां भाजपाई सकते में आ गए वहीं कांग्रेस इस मौके को भुनाने में लग गई। दो दिन तक ध्वाला आग बरसाते रहे लेकिन तीसरे दिन ध्वाला का सीएम को लिखा पत्र सामने आने से कई सवाल उठना भी लाजिमी है। इस पत्र में ध्वाला ने तो भावुकता का हवाला देकर माफी मांग ली और संगठन व सरकार को मजबूत बनाने का आश्वासन भी दिया। लेकिन दो दिन तक भावनाओं के तेज प्रवाह में बहकर आखिर ध्वाला शांत हुए तो कैसे, यह यक्ष प्रश्न है। इसका जवाब खोजने जब हमने भी राजनीति के माहिरों की राय जाननी चाही तो सबके अपने-अपने तर्क थे।

कुछ राजनीति के माहिर यह मानते हैं कि लंबे समय से जो मंत्रिमंडल के साथ बोर्डों और निगमों की खाली कुर्सियों पर बैठने के बेताब नेताओं ने ध्वाला को आगे कर दिया और ध्वाला की ज्वाला की आंच से सरकार को सेंक लगाकर किनारे हो गए। यह पूरी पटकथा कांगड़ा के भाजपाइयों ने रची और इसमें हीरो और विलेन दोनों ही रोल ध्वाला को दे दिए। कहा यह भी गया कि संगठन में जो ओहदे बंटे हैं उनसे कई भाजपाई खासकर पुराने नजरअंदाज हो चुके चेहरे खासे नाराज हैं। ऐसे में ध्वाला उनकी आवाज बन गए और आवाज ऐसी उठी कि दो दिन तो सबको हिलाकर रख दिया।

वहीं कुछ इससे उलट कहते सुने गए कि यह पूरी पटकथा कांग्रेसियों ने रची और ध्वाला इसमें फिट भी हो गए। कांग्रेसियों ने ध्वाला के खिलाफ एक कांग्रेसी नेता से आग उगलवाई और उसको जवाब देने के चक्कर में पहले ध्वाला ने अपनी ही सरकार और संगठन को खूब सेंक लगा दिया। कांग्रेसियों ने ध्वाला को ऐसा घेरा कि अचानक हुए प्रहार से वह सकपका गए और अपनी ही सरकार और संगठन को लपेटे में ले लिया। बात अंदर रहती तो कुछ और थी लेकिन बात बीच सड़क पर आकर निकली जिससे चर्चा भी ज्यादा हुई। अब जहां भाजपाई डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं तो वहीं कांग्रेसी मौके को भुनाने में लगे हुए हैं।

ध्वाला के अचानक शांत होने को लेकर भी राजनीतिक माहिर एकजुट नहीं हैं। कुछ राजनीतिक माहिर कह रहे हैं कि ध्वाला की ज्वाला को सीएम जयराम ठाकुर ने शांत करवाया है। शांत करवाने का तरीका भी ऐसा कि माफीनामा भी खुद ध्वाला को लिखना पड़ा। वजह चाहे भावनाओं में बहने की बताई गई लेकिन यह माफीनामा या पत्र सीएम तक पहुंचने के साथ-साथ जनता तक भी पहुंच गया, उसी मीडिया के माध्यम से जिसके माध्यम से ध्वाला ने खलबली मचाई थी। इन माहिरों का मानना है कि सीएम जयराम ठाकुर ने अलग अंदाज से डैमेज कंट्रोल किया है और कांग्रेस के हाथ से मुद्दा छीन लिया है। वहीं कुछ इसे पूर्व सांसद शांता कुमार का मास्टरस्ट्रोक करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि शांता कुमार ने फिलहाल इस आग को ज्यादा फैलने से रोक दिया है।

नीरज भारती की टिप्पणी


वहीं यह मसला ओबीसी बनाम राजपूत हो गया। पूर्व सीपीएस नीरज भारती ने भी सोशल मीडिया पर इसपर टिप्पणी करते हुए कहा कि … ये राष्ट्रीय संगठन मंत्री (सचिव) चाहे भाजपा के हो या कांग्रेस के हों, निशाना इनका कांगड़ा के स्थापित “अन्य पिछड़ा वर्ग” के नेता ही है, ताकि इन ओबीसी के स्थापित नेताओं को हटा कर और 2-4 गद्दार छुटभैयए जो इन संगठन मंत्रियों के साथ हैं जो ना तो कभी उनके हो सके जिनका नमक खाया, जिनके सिर पर चलना सीखा और ना ही जो कभी अपनी पार्टी के सगे बन सके उनको साथ ले कर अपनी मनमर्जी की राजनीति कर सकें, लेकिन याद रखना जल्दी जवाब मिलेगा और जवाब जबरदस्त मिलेगा।