उज्जवल हिमाचल। चंबा
सदियों से अपनी स्वच्छता और निर्मल जल को लेकर बहने वाला ततवानी का यह कुदरती पनिहार आज अपनी खराब हालत पर आंसू बहाने को मजबूर है। बताते चले कि राजस्वीय काल से बने इस पनिहारे से जहां अधिकतर लोग यहां आकर स्नान करने के उपरांत अपने आराध्य शिव मंदिर में पूजा अर्चना किया करते थे।
आज वही प्राचीन शिव मंदिर और पानी का पनिहारा धीरे-धीरे ध्वस्त होने के कगार पर आ चुका है। चंबा के स्थानीय लोगों के साथ वहीं साथ में रहने वाले लोगों की माने तो इन सब का जिम्मेदार जिला प्रशासन और यहां की स्थानीय नगरपालिका ही है। जिनको की इस बारे एक नहीं अपितु कई बार लिखित व मौखिक रूप से बताया गया है।
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पर किसी ने भी इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया है। नतीजन आज प्राचीन शिव मंदिर और उसी के साथ सदियों से बह रहा पनिहारा अब धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर है। रावी नदी के साथ बहता यह वही प्राचीन शिव मंदिर और उसी के साथ सदियों से बह रहा यह वही ततवानी पनिहारा है जोकि जिला प्रशासन और नगरपालिका की अनदेखी के चलते अब धीरे-धीरे जमीदोश होता चला जा रहा है।
हालांकि स्थानीय लोग इस प्राचीन शिव मंदिर और इस पनिहारे को समय-समय पर साफ सफाई तो करते ही रहते है। पर इस पनिहारे से बहने वाला लाखों लीटर पानी उसी के साथ जमीन में रस्ता जा रहा है। जिस कारण न केवल प्राचीन शिव मंदिर धीरे-धीरे ध्वस्त होता जा रहा है।
अपितु इस पनिहारे में भी कई जगह बड़ी-बड़ी दरारें आने से चिंता बढ़ चुकी है कि कभी भी यह प्राचीन विरासत जमीन में धस सकती है। यहां पर दूसरे राज्य से आए हुए सैलानी यहां के महंत और यहीं के स्थानीय लोगों का कहना है कि इसको लेकर कई मर्तबा जिला प्रशासन को अवगत करवाया जा चुका है।
पर वर्षों बीत जाने के बाबजूद भी इस पर किसी ने गौर नहीं किया। नतीजन आज के समय इस पनिहारे और प्राचीन शिव मंदिर के आसपास अनेकों दरारे पड़ चुकी है। इन लोगों का कहना है कि समय रहते अपनी इस प्राचीन विरासत को बचाने कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब ये किताब के पन्नों में ही इन सब का उल्लेख देखने को मिलेगा।