देश को रौशन करने वालों के खुद के घरों में छाया अंधेरा

Koldam displaced forced to eat stumbling blocks
दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर कोलडैम विस्थापित

बिलासपुर : देश को रौशन करने वाले प्रथम भाखड़ा विस्थापितों व जिला बिलासपुर के दूसरे कोलडैम विस्थापितों की दशा तकरीबन एक तरह की है। हैरानी की बात है कि कोलबांध परियोजना के बनने से पूर्व ग्रामीणों को कई सपने दिखाए गए। अब जब बिजली उत्पादन शुरू हो गया है तो रॉयल्टी मिलना तो दूर इन विस्थापितों की सुविधाओं को भी दरकरार किया जा रहा है। एनटीपीसी कोलबांध के कार्यालय और उनकी सड़कें आदि चकाचक है लेकिन विस्थापितों की कॉलोनी की दुर्दशा इतनी भयावह है कि लोग अपनी जान को हथेली में रखकर जीवन जीने को विवश हैं। रोचक बात यह है कि इन विस्थापितों की समस्याएं न तो एनटीपीसी प्रशासन, न तो जिला प्रशासन और न ही कोई जनप्रतिनिधि सुलझाने के लिए आगे आ रहा है।

यह भी पढ़ें : CM के सुंदरनगर दौरे को लेकर भाजपा कांग्रेस में शुरू हुआ ‘झंडा विवाद’

इसी आशय को लेकर ग्रामीणों ने एनटीपीसी की पुनर्वास उपनगरी जमथल में धरना प्रदर्शन किया तथा वहां पर विशेष रूप से मौजूद जिला परिषद अध्यक्षा कुमारी मुस्कान के समक्ष अपना दुखड़ा रोया। ग्रामीणों ने बताया कि कॉलोनी को जाने वाली सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है। डंगे ढह रहे
हैं जबकि सड़क के दोनो ओर झाड़ियों का साम्राज्य अपनी दुर्दशा को बयान कर रहा है। पहले से तंग और किचड़ से भरी सड़कों पर पैदल चलने वालों के लिए परेशानी का सबब है। यही नहीं इस बरसात में ढहे ढंगों का मलबा रिहायशी मकानों में खिड़कियां तोड़कर अंदर आ गया है। पूरी तरह से खतरे की जद में आ चुके इन मकानों में लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर जीवन जीने को विवश हैं। इस सारी कॉलोनी में सफाई नाम की कोई वस्तु नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाती इस कॉलोनी में लोग जोखिम में जी रहे हैं।

यह भी पढ़ें : सरकार फिजूलखर्ची करे बंद, कर्मचारियों को दें OPS: विक्रमादित्य सिंह

इस मौके पर ग्रामिणों ने बताया कि उनकी जायज मांगों को एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा दरकिनार किया जा रहा है। एनटीपीसी प्रबंधन कभी जिला प्रशासन के पास भेजता है तो कभी विभागीय चक्कर कटवा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर कोलडैम जलाश्य से झील लबालव भरी है लेकिन लोगों को पीने के पानी का संकट है। हैरानी की बात है कि यहां पर टैंकर से पानी मंगवा कर लोग अपनी दिनचर्या की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के साथ हुए करार में मूलभूत सुविधाओं को देने का लिखित जिक्र है किंतु एनटीपीसी प्रबंधन ने जिम्मेवारियों से अपना मुंह मोड़ लिया है। ग्रामीणों का जीवन किसी दूर दराज के क्षेत्रों में रहने वालों से कम नहीं है।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है तो मजबूरन उन्हें सड़कों पर उतरना पड़ेगा। जिसकी जिम्मेवारी संबंधित प्रशासन, जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार की होगी।

संवाददाता : सुरेंद्र जंबाल

हिमाचल प्रदेश की ताजातरीन खबरें देखने के लिए उज्जवल हिमाचल के फेसबुक पेज को फॉलो करें।