सालभर में सिर्फ एक बार खुलते हैं इस मंदिर के कपाट, वजह जान चौंक जाएंगे आप

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उज्जवल हिमाचल। डेस्क

क्या आप भी रोमांच से भरी रहस्यमयी जगहों पर घूमने के शौकिन है। तो भारत के मंदिरों से बेहतर कुछ नहीं
होगा। यहां के मंदिरों की कहानियां, उनकी संरचना, मंदिरों से जुड़े चमत्कार आपको रोमांचक सफर का पूरा
आनंद देंगे। देवभूमि उत्तराखंड के सुंदर पहाड़ों के बीच बसा एक मंदिर ऐसा भी है जो साल भर बंद रहता है।
यह मंदिर साल में एक दिन खास मौके पर सिर्फ 12 घंटे के लिए खोला जाता है।

 

364 दिन बंद रहता है यह मंदिर
उत्तराखंड के चमोली में बंशी नारायण मंदिर स्थित है। यह मंदिर काफी लोकप्रिय है। साल भर भक्त इस
मंदिर के दर्शन नहीं कर पाते, क्योंकि यह पूरे साल बंद रहता है। हालांकि मंदिर के कपाट खास दिन पर
सिर्फ 12 घंटों के लिए खोले जाते हैं। जिस दिन मंदिर के कपाट खुलते हैं, श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है।
लोग यहां इस दिन पूजा अर्चना करते हैं और भगवान बंशी नारायण का आशीर्वाद लेते हैं।

इस दिन खुलते हैं बंशी नारायण मंदिर के कपाट
चमोली स्थित बंशी नारायण मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए सिर्फ रक्षाबंधन के दिन के लिए खुलते हैं। इस
दिन जब तक सूर्य की रोशनी रहती है, तब तक मंदिर खुला रहता है। सूर्यास्त होने पर मंदिर के कपाट बंद
कर दिए जाते हैं।

बंशी नारायण मंदिर से जुड़ी है ये पौराणिक कथा
यह मंदिर भगवान विष्णु का है। माना जाता है कि विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्ति के बाद सबसे पहले
इसी स्थान पर आए थे। तब देव ऋषि नारद ने भगवान नारायण की यहां पूजा अर्चना की थी। इसलिए मान्यता
है कि मात्र एक दिन के लिए मनुष्यों को भगवान के दर्शन के लिए मंदिर को खोला जाता है।


इसलिए रक्षाबंधन पर खुलता है ये मंदिर
माना जाता है कि एक बार राजा बलि ने भगवान विष्णु से उनका द्वारपाल बनने का आग्रह किया था। भगवान
ने आग्रह मान लिया और वह राजा बलि संग पाताल तक चले गए। कई दिनों तक जब माता लक्ष्मी को जब
भगवान विष्णु कहीं नहीं मिले तो उन्होंने नारद जी के कहने पर श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन राजा बलि को
रक्षा सूत्र बांधकर भगवान विष्णु को मुक्त करने का आग्रह किया। जिसके बाद राजा बलि विष्णु जी के साथ
इसी स्थान पर माता लक्ष्मी से मिले थे। इसलिए भी रक्षाबंधन वाले दिन ही इस मंदिर के कपाट खोले जाते हैं।

एक मान्यता के अनुसार बाद में इस जगह पर पांडवों ने मंदिर का निर्माण कराया। रक्षाबंधन के दिन मंदिर
आने वाली महिलाएं भगवान वंशीनारायण को राखी बांधती हैं। इस मंदिर के पास दुर्लभ प्रजाति के फूल और
पेड़ देखने को मिलते हैं और यहां का नजारा अतिमनमोहक होता है।