सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर आज है पुण्‍यतिथि

Today is the death anniversary of Tegh Bahadur, the ninth Guru of the Sikhs
सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर आज है पुण्‍यतिथि

डेस्क: गुरु तेग बहादुर का आज शहीदी दिवस (पुण्‍यतिथि) है। वह सिखों के नौवें गुरु थे, जिन्‍हें 400 सालों के बाद भी ‘हिंद की चादर’ के नाम से जाना जाता है। गुरु तेग बहादुर ने हिंदू धर्म और कश्‍मीरी पंडितों की रक्षा के लिए खुद को कुर्बान कर दिया। इस्लाम स्वीकार न करने के कारण 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने सबके सामने उनका सिर कटवा दिया, लेकिन औरंगजेब उनका सिर झुका नहीं पाए।

आज जहां धर्म के नाम पर कट्टरता देखने को मिलती है, वहीं 16वीं सदी में गुरु तेग बहादुर ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए खुद को कुर्बान कर दिया। कश्मीरी पंडितों ने जब गुरु तेग बहादुर से मदद मांगी, तो वह हिचकिचाए नहीं। हिदुओं ने बताया कि उन पर मुगल बेहद अत्याचार कर रहे हैं, उन पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बना रहे हैं। तब गुरु तेग बहादुर ने कहा जाओ औरंगजेब को बता दो कि पहले वह मेरा धर्म परिवर्तन कराए इसके बाद ही वह किसी अन्य का धर्म परिवर्तन करा सकता है। इसके बाद गुरु तेग बहादुर दिल्ली आए और यहीं चांदनी चौक पर उन्होंने खुद को कुर्बान कर दिया।

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धर्म हमें शांति और अंहिसा का मार्ग दिखाता है। गुरु नानक देव के नक्‍शे कदम पर चलते हुए गुरु तेग बहादुर भी अपने काल में शांति का पैगाम फैला रहे थे। उधर, औरंगजेब किसी भी धर्म को अपने से ऊपर नहीं देखना चाहता था। वह अत्‍याचार कर हिंदुओं और सिखों का जबरन धर्मांतरण करा रहा था। मंदिरों को तोड़ा जा रहा था, हिंदू और सिख महिलाओं के साथ दुष्‍कर्म और अत्याचार हो रहे थे। ऐसे में गुरु तेग बहादुर ने गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया और उन्हें मुगलों के खिलाफ लड़ने को तैयार किया। जब कुर्बानी देने की बारी आई, तो सबसे आगे खड़े हो गए।