नूरपुर के उपचुनाव में हाेगा तिकोना मुकाबला

विनय महाजन। नूरपुर

फतेहपर विधानसभा का उपचुनाव सभी सियासी पार्टियों के प्रचार को लेकर आजतक मतदाताओं के बीच भाषणों के माध्यम से अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग तक सिमित होकर जोरों पर हैं। इस उपचुनाव में मुख्य मुकाबला तिकोना समझा जा रहा है। यह उपचुनाव हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर की सरकार का भविष्य तो तय करेंगे, लेकिन आजाद पार्टी से चुनाव लड़ने वाले डॉक्टर राजन सुशांत का राजनीतिक भविष्य तय करेगा, भाजपा से निष्कासित डॉक्टर सुशांत ने अनेक बार तीसरी शक्ति के रूप में उभरने के लिए पार्टियां बनाई, लेकिन सफलता प्राप्त नहीं कर सके।

अब देखना है कि पौंग बांध विस्थापित व मजदूर संघ, किसान बागवान, पैंशनर व जिस आंदाेलन को लेकर उन्होंने फतेहपुर में उन्होंने धरना-प्रदर्शन चलाया हुआ है, वह उनकी जीत हासिल करने में क्या सुशांत को इस उपचुनाव में विधायक निर्वाचित करेगा, ऐसी चर्चाएं रहैन, राजा का तालाब, गुरिया छत्र, धमेटा, बरोट व तलाड़ा इत्यादि जगहों पर मतदाताओं ने की। इन मतदाताओं का कहना है कि सुशांत अड़ियल किस्म की राजनीति करते आएं हैं, भाजपा से निष्कासित होने के बाद सुशांत ने कोई चुनाव नहीं जीता है। 2017 के विधानसभा के चुनाव में डॉक्टर सुशांत को 6205 केवल वोट मिले थे।

सुशांत समर्थकों का कहना है कि जिस प्रकार चुनावी रैलियों में जन समूह की तदाद देखने को मिल रहा है, उससे लगता है कि फतेहपुर के मतदाताओं ने शायद उनका राजनीतिक जीवन बचाने हेतु कोई मास्टर रणनीति तैयार की हैं। वहीं, कुछ मतदाताओं का कहना है कि अड़ियल नेचर के कारण सुशांत दस हजार वोट लेने तक ही सिमट जाए भाजपा के लिए भी सुशांत सिरदर्दी बने हुए हैं, जिस कारण सता पक्ष प्रचार में कांग्रेस के खिलाफ भाषणबाजी करने मे जुटा है।

भाजपा प्रत्याशी बलदेव ठाकुर किसी समय डॉक्टर सुशांत के नवरत्न दरवारी पार्टी में होते थे, लेकिन आज इस उपचुनाव में भी आमने-सामने हैं। बलदेव ठाकुर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में आजाद प्रत्याशी के रूप में 13090 वोट लिए थे, अब भाजपा प्रत्याशी के रूप में भाजपा के लिए वोट मांग रहे हैं, जबकि उस समय के भाजपा प्रत्याशी क्रपाल परमार को पहली बार 17678 वोट मिले थे, लेकिन इस बार धरती पुत्र व चककी पार नारों ने परमार की टिकट काट दी। अब इस हार-जीत का निर्णय परमार समर्थकों के पास है। कांग्रेस प्रत्याशी भवानी पठानिया अपने पिता की मौत के बाद इस उपचुनाव में अपनी किस्मत अजमा रहे हैं देखना है कि पठानिया अपने पिता की सीट को बरकरार रखने मे कामयाब होते है कि नहीं। ये निर्णय फतेहपुर के मतदाताओं पर निर्भर है।

2017 के चुनाव में भवानी पठानिया के पिता सुजान सिंह पठानिया को 18962 वोट ऐसी हालत में मिले थे, जब उनकी सेहत ठीक नहीं थी, केवल 1284 की लीड से पठानिया जीतने में कामयाब हुए थे, जबकि उन्होंने काफ़ी विकास करवाया था। शेष अन्य दो प्रत्याशी भी अपनी किस्मत इस उपचुनाव में अजमा रहे हैं। इनमें एक भारतीय वन प्रशासनिक सेवा अधिकारी डॉक्टर अशोक सोमल आजाद रूप में वोट मांग रहे हैं।

दूसरे हिमाचल जन क्रांति पार्टी के प्रत्याशी पंकज दर्शी हैं। कांग्रेस पार्टी परिवारवाद से ग्रस्त हैं, भाजपा आया राम गया राम के फार्मूले से ग्रस्त हैं, सुशांत पर अड़ियल होने का मुद्दा है। सभी मुद्दों को लेकर पंकज दर्शी अपना चुनाव अभियान शरू किए हुए हैं। भाजपा का तारनहार ने फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में अपनी पूरी पैनी नजर रखी हुई हैं। राकेश पठानिया के हाथ भाजपा की डोर है। किस प्रकार पटखनी देते हैं। इस उपचुनाव को भाजपा के पक्ष में करने हेतु।