घाटी में दाे कश्मीरी हिंदुओं की हत्या, दाे आतंकी संगठनाें ने ली जिम्मेदारी

उज्जवल हिमाचल। श्रीनगर

लश्कर-ए-तैयबा का हिट स्क्वाड कहे जाने वाले आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जम्मू-कश्मीर द्वारा श्रीनगर में मशहूर कश्मीरी हिंदू दवा विक्रेता मक्खन लाल बिंदरु और बिहार से रोजी-रोटी कमाने आए गोल-गप्पे की रेहड़ी लगाने वाले विरेंंद्र पासवान की हत्या कश्मीरी हिंदुओं की घाटी वापसी की प्रक्रिया को रोकने की एक बड़ी साजिश है। यह दोनों ही हत्याएं कश्मीर को मुख्यधारा से अलग-थलग रखने के लिए इस्लामिक कट्टरपंथियों की कुत्सित और घिनौनी हरकत है। मक्खन लाल बिंदरु उन गिने चुने कश्मीरी हिंदुओं में एक थे, जिन्होंने आतंकवाद के चरम के दौरान धमकियों के बाद भी कश्मीर नहीं छोड़ा था।

श्रीनगर में अमीराकदल पुल के पास हरि सिंह हाईस्ट्रीट में बिंदरु मेडिकेट से शायद ही ऐसा कोई कश्मीरी होगा, जिसने दवा न खरीदी हो। जिस दुकान पर उनकी हत्या की गई, वह उन्होंने करीब 10 वर्ष पहले ही शुरू की थी। दोनों घटनास्थलों में महज 500 मीटर का अंतर होगा। मक्खन लाल बिंदरु कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं का चेहरा थे, क्योंकि वह कश्मीरी हिंदू समाज के चंद पुराने संभ्रात और गणमान्य लोगों में एक थे। वहीं, विरेंद्र पासवान कश्मीर में इस्लाम के नाम पर खून बहाने वाले दरिंदों के लिए एक हिंदू, सनातन संस्कृति और हिंदुस्तान का प्रतीक था। इन हत्याओं की टाइमिंग खास है। इन दिनों कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए विस्थापितों की संपत्ति पर से अवैध कब्जों को हटाने के लिए सरकारी मशीनरी सक्रिय है।

केंद्रीय मंत्रियों के दौरे भी बिना किसी सुरक्षा तामझाम के हो रहे हैं। इससे हर जगह वादी के हालात में सुधार का संदेश जा रहा है। कश्मीर मामलों के जानकार और जम्मू कश्मीर यूनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अजात जम्वाल ने कहा कि बीते डेढ़ वर्ष में आतंकियों के निशाना बने मक्खन लाल बिंदरु चौथे कश्मीरी हिंदू हैं। विरेंद्र पासवान चौथा ऐसा व्यक्ति है, जो कश्मीर में अन्य राज्य से रोजी-रोटी कमाने आया और आतंकियों के हाथों मारा गया। सभी की जिंदगी है, लेकिन बिंदरु की हत्या के मायने खास हैं।

उनकी हत्या उन सभी कश्मीरियों को डराने के लिए है जो अपने पुश्तैनी मकानों, खेत-खलिहानों पर हुए कब्जों को हटवाकर वापस कश्मीर लौटने का मूड बना रहे हैं। प्रो. हरि ओम ने कहा कि विरेेंद्र पासवान और उससे पहले सतपाल नामक एक व्यापारी और कृष्णा ढाबा मालिक आकाश मेहरा की हत्या हुई है। तीन और बाहरी लोगों की हत्या बीते वर्ष हो चुकी है। इन सभी हत्याओं का पैटर्न एक था और हत्या करने वाले आतंकियों के मुताबिक यह सभी राष्ट्रवाद को कश्मीर में आगे बढ़ा रहे थे व संघ परिवार से जुड़े थे। यह लोग कश्मीर में हिंदुओं को बसाने में लगे थे। इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं।