शीतला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने तैयार किए विटामिन-सी से भरपूर प्रोडक्ट

उमेश भारद्वाज। मंंडी
कोरोना काल में जहां हर कोई अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हुआ है, वहीं इस बीमारी से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-सी युक्त दवाईयों का भी सेवन कर रहे है। कोरोना महामारी के दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में शीतला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने विटामिन-सी से भरपूर जंगली आंवला से कैंडी व बर्फी सहित अन्य प्रोडक्ट तैयार करके प्रदेश में एक मिसाल कायम कर दी है। आंवला से बने उत्पाद कोरोना काल के बीच में व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी लाभदायक सिद्ध है। महिलाओं के द्वारा मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए भी शुगर फ्री आंवला कैंडी तैयार की जाती हैं। मंडी जिला के बल्ह विकास खंड के बैरी मनसाई गांव की महिलाएं हैं, जिन्हाेंने न केवल संगठित होकर गांव में उपलब्ध खाद्य पदार्थों से पौष्टिक व स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद बनाने का कार्य आरंभ किया है बल्कि अपनी आर्थिकी को भी सुदृढ़ किया है। जायका परियोजना द्वारा गठित शीतला स्वयं सहायता समूह ने कृषि विज्ञान केंद्र मंडी की गृह वैज्ञानिक डा.कविता शर्मा के सानिध्य में महिलाओं ने गांव में प्रचूर मात्रा में उपलब्ध औषधीय फल आंवले से कैंडी, जैम, चटनी व मुरब्बा बनाकर अपने और लोगों के परिवारों की पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। स्वयं सहायता समूह की 25 महिलाएं कृषि विज्ञान केंद्र मंडी के संपर्क में आने के बाद न केवल आंवला के उत्पाद तैयार किए, बल्कि फसल व सब्जी उत्पादन, उद्यानिकी, पादप रोग नियंत्रण तथा गृह विज्ञान सहित अन्य विषयों पर  प्रशिक्षण प्राप्त करके इस क्षेत्र में संगठित होकर काम करना शुरू किया। इसके अलावा कृषि से जुड़े हुए नए उद्यमों खुम्ब उत्पादन, पौध उत्पादन,सोयाबीन से निर्मित उत्पाद आदि पर भी कृषि विज्ञान केंद्र ने समूह के सदस्यों को समय-समय पर प्रशिक्षित किया। समूह की महिलाओं ने केंद्र द्वारा फल एवं सब्जी परीक्षण पर आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में अर्जित किए ज्ञान को व्यवहारिक रुप में अपनाकर स्थानीय फलों व सब्जियों से अचार, सॉस आदि मूल्य सबंर्धित उत्पाद बनाने का कार्य आरंभ करके एक मिसाल कायम की है।
समूह सोयाबीन का पनीर व बर्फी बनाकर व बेचकर अपने परिवार की आर्थिकी सुधारने में मदद कर रही है। सोयाबीन पनीर, बर्फी के अलावा पारंपरिक मिश्रित अनाज जैसे जौ, बाजरा, कोदरा व सोयाबीन के आटे के लडडू इस समूह के विशेष आकर्षण हैं जो लोगों में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त यह महिलाएं बेसन व नारियल के लड्डू, खोया बर्फी व गुलाब जामुन भी बना रही हैंं। शीतला स्वयं सहायता समूह की प्रधान रक्षा ने कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा आंवला केंडी बनाकर कोरोना काल में लोगों की इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायता की जा रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य में समूह इस काम को बड़े स्तर पर चलाकर ब्रांड नाम और अधिक प्रचलित करने की योजना तैयार की गई है। कृषि विज्ञान केेंद्र द्वारा समय-समय पर इस कार्य के लिए प्रेरित किया गया और उत्पाद तैयार करने में प्रशिक्षित भी किया गया। डा. कविता शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में सामान्य सार्वजनिक जीवन में लोगों की स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ी है तथा पिछले कुछ समय से हमारे खानपान में आए बदलाव को सुधारने में व शरीर को स्वस्थ रखने व बीमारियों से बचाने के लिए नियमित पोषण की आवश्यकता पर अधिक ध्यान देना आरंभ किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे में शीतला स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की मांग बढ़ने की आत्याधिक संभावना है। इन उत्पादों को बनाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा समूह की महिलाओं को समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाता है। कृषि विज्ञान केंद्र मंंडी के सीनियर साइंटिस्ट एवं प्रभारी डा. पंकज सूद ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त व आर्थिक रुप से समृद्ध बनाने में महिला स्वयं सहायता समूह कारगर माध्यम साबित हो रहे हैं। खेती के काम, पशु पालन, घर परिवार का संचालन व अन्य सामाजिक दायित्वों को निभाने के साथ-साथ आर्थिकीकरण की ओर भी महिलाओं ने अपने कदम बढ़ाए हैं।