महिला सशक्तीकरण होगा तो समाज व देश खुद हो जाएंगे विकसित: कैप्टन संजय पराशर

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

बेशक महिला सशक्तीकरण के बिना समाज व मावनता का विकास अधूरा है। अगर नारी सशक्त तभी होगी, तो देश व समाज का भविष्य अपने आप ही उज्जवल हो जाएगा। लेकिन यह तभी संभव है जब महिलाएं सर्वागींण रूप से आत्मनिर्भर हों। इसी ध्येय को लेकर महिला सशक्तीकरण की दिशा में कैप्टन संजय पराशर अहम व सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। महिलाओं को समाज व विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए वह अब तक 12 प्रोजेक्ट्स पर कार्य शुरू कर चुके हैं और इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं।

पराशर ने नारी सशक्तिकरण का अभियान निरंतर जारी है। जसवां-परागपुर क्षेत्र के दूरदराज के गांवों तक निशुल्क सैनिटरी पैड्स बांटने के उनके महाअभियान की चहुं ओर सराहना हो रही है और इस साल एक लाख सैनिटरी पैड्स बांटने के लक्ष्य को संजय की 85 प्रतशित से ज्यादा पूर्ण कर कर चुकी है।

दरअसल तमाम सामाजिक सरोकार के बीच संजय पराशर ने आधी दुनिया के उत्थान के लिए भी बड़ा विजन रखा है। चाहे बात चिंतपूर्णी कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं की निशुल्क फीस की हो या इसी कॉलेज के भवन के जीर्णोद्धार का मामला हो, पराशर ने क्षेत्र के बेटियों के हित के लिए लाखों रूपए का अनुदान इस महाविद्यालय के लिए इसलिए दिया ताकि संसाधनों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। कोरोना की दूसरी लहर में चमेटी गांव की महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप की भी संजय ने खुलकर मदद की और उनके द्वारा बनाए गए प्राकृतिक उत्पाद खरीदकर कोरोना संक्रमित मरीजों में भी निशुल्क वितरित किए।

इसके अलावा संजय ने जसवां-परागपुर क्षेत्र में निशुल्क सैनिटरी पैड्स वितरित करने का भी महा अभियान चला रखा है, जिसके अंर्तगत 59 गांवों में अब तक 85,724 सैनिटरी नैपकिन महिलाओं व किशोरियों में अब तक बांटे जा चुके हैं।

वहीं, पराशर द्वारा आयोजित चिकित्सा शिविरों में महिलाओं की ही ज्यादा उपस्थिति दर्ज होती रही है। अब तक कुल लगे बारह मेडकील कैंपों में छह हजार से ज्यादा महिला लाभार्थी पहुंचीं। निराश्रित महिलाओं के लिए भी संजय पेंशन और उनके बच्चों को स्कॉलरशिप प्रदान कर रहे हैं। ऐसी 107 महिलाओं व उनके बच्चों को सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अलावा पराशर ने ऐसी निराश्रित महिलाओं को प्रेशर कुकर देने के बाद पेंशन स्कीम भी शुरू कर दी है। बड़ी बात यह भी है कि अब मर्चेंट नेवी में युवतियों की भर्ती हो, इसके लिए भी प्रयास तेज कर दिए हैं। अगले वर्ष से मर्चेंट नेवी में युवतियों को रोजगार दिलावानें लिए कैप्टन संजय ने प्लान तैयार कर लिया है।

पराशर का कहना है कि महिला सशक्तीकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है, लेकिन अगर सिर्फ शब्दों से ही काम चलने वाला नहीं है। वास्तव में इस दिशा में जरूरी कदम उठाने होंगे। महिलाएं अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं लें और परिवार व समाज में अच्छे से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएं तो समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तीकरण है। आधी दुनिया में ऐसी ताकत है कि वे समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकती हैं। विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिए वह भी अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।