चंबा में एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर जिस में शिवलिंग पर गिरती हैं दूध की धाराएं

उज्ज्वल हिमाचल। चंबा

हिमाचल प्रदेश का जिला चम्बा अपनी समृद्ध संस्कृति अपनी कला और यहाँ के पर्यटन स्थलों के लिए विश्वभर मैं प्रसिद्ध है। वही जिला चम्बा अपने धर्मिक स्थलों के लिए भी विश्व के मानचित्र पर उभरा हुआ है। यहां पर अनेकों ऐसे धार्मिक स्थल है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का काम करते है। लेकिन अभी भी कुछ एक ऐसे धार्मिक स्थल है जो अभी भी दुनियां कि नजरों से छिपे हुए है। ऐसा ही एक धार्मिक स्थल हिमाचल प्रदेश के जिला चम्बा के भरमौर नामक स्थान पर विराजमान है। बताया जाता है कि इस क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाली ग्राम पंचायत खुन्देल के अंतर्गत एक मंदिर जिसको की दूधेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर कितना प्राचीन है ये इस मंदिर को देख कर ही पता चल जाता है। कहाँ जाता है कि यह मंदिर राजाओं महाराजाओं के काल से यहाँ पर स्थित है और इस मंदिर में शिव जी के शिवलिंग पर दूध कि धाराएं गिरती है जो अपने में ही अचंभित कर देने वाली बात है। इस बात में कितनी सच्चाई है जब यह जानने के हमारी टीम इस पवित्र स्थल पर पहुंची तो देखकर हम भी आश्चर्यचकित रह गए।

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पुराने वेदों और वहां के लोगों का कहना है कि यह मंदिर राजा मेरु वर्मन के काल से यहाँ पर स्थित है। इस मंदिर में शिव जी का संपूर्ण परिवार मौजूद है जिनपर ऊपर से दूध की धाराएं गिरती देखी जा सकती है। बताया जाता है कि मंदिर के साथ में ही दूध कि धाराएं निकलती थी जिसमे नहाने और उसे पीने से किसी भी प्रकार का रोग दूर हो जाता था। वहीं जब मंदिर के पुजारी शरण दास शर्मा और स्थानीय निवासी अम्बिया राम से जब हमारे संवाददाता ने बात कि तो उन्होंने बताया कि उनके बुजुर्गों द्वारा जो जानकारी उन्हें दी गयी है वो बस उतना ही जानते हैं। उन्होंने बताया कि ये मंदिर बहुत ऐतिहासिक है बुजुर्गों का कहना था कि राजा मेरु वर्मन को एक बार कुष्ठ रोग हो गया था तब राजा को स्वपन में भगवन भोले नाथ ने राजा को उनके इस दिव्य स्थान के बारे में बताया और राजा से वहां जाने को कहा।

राजा उस स्थान पर पहुंचे और उन्होंने वहां पर इस मंदिर का निर्माण करवा कर लगातार 16 दिन वही रहे और शिव भोले कि भक्ति और आशीर्वाद से वो स्वस्थ हो गए थे। तब से यह मंदिर यहां पर स्थित है। इस प्राचीन मंदिर के पुजारी ने बताया कि जब भी कोई पर्वीए या जन्माष्टमी और मणिमहेश नहोन होता है तो अपने आप इस स्थान पर गंगा प्रकट हो जाती है। उन्होंने बताया कि वैसे तो यहाँ पर बहुत से ऐसे धार्मिक स्थान है लेकिन अभी भी इस मंदिर के इतिहास और इसकी शक्ति क बारे में विश्व स्तर पर पहचान नहीं हो पाई है।

संवाददाताः शैलेश शर्मा

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