यदि बनीखेत हवाई पट्टी योजना न होती रद्द, तो कुछ ओर ही होता डलहौज़ी पर्यटनः मनीष 

तलविन्दर सिंह। बनीखेत
आम आदमी पार्टी प्रदेश पर्यटन प्रकोष्ठ उपाध्यक्ष मनीष सरीन ने डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र के पर्यटन विकास की अनदेखी को लेकर एक बार फिर स्थानीय नेताओं व शासकों पर निशाना साधा है। मनीष ने वक्तव्य दिया की आज से तकरीबन दो दशक पहले डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र के बनीखेत कस्बे को केंद्र सरकार द्वारा एक हवाई पट्टी बनाने की सौगात मिली थी।
मध्य 90 के दशक में मिली इस हवाई पट्टी योजना को 15 करोड़ की लागत से पूरा किया जाना था व केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को इस योजना को पूरा करने की ज़िम्मेदारी सौंपी थी। ऐसी ही एक हवाई पट्टी बनाने की योजना रंगरिक, स्पीति को भी मिली थी। ऐसे में अचानक नवंबर 13, 1998 को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने इस योजना को रद्द करने की घोषणा कर दी व योजना के तहत लगने वाले बजट को प्रदेश के तत्कालीन मौजूदा तीन हवाई अड्डों के उन्नयन पे खर्च करने के आदेश दे दिए।
उस समय केंद्र सरकार द्वारा हवाई पट्टी योजना को रद्द करने के फैसले का विरोध तत्कालीन स्थानीय विधायक ने न तो प्रदेश सरकार के आगे जताया और न ही केंद्र सरकार से कोई गुहार लगाई। सरीन ने कहा की खुद को यशस्वी बताने वाले डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र के तथाकथित शासक यदि 1998 में बनीखेत हवाई पट्टी योजना को रद्द होने से रुकवाने की ज़रा सी भी कोशिश कर लेते और बनीखेत हवाई पट्टी योजना सफलतापूर्वक बन जाती तो आज विधानसभा क्षेत्र का पर्यटन बुलंदियों पर होता जिस से न केवल क्षेत्रवासियों का आर्थिक विकास होता अपितु क्षेत्र के पिछड़ेपन को भी राहत मिलती लेकिन शायद स्थानीय शासकों को क्षेत्र विकास की न तो तब पड़ी थी और न ही आज पड़ी है।
हवाई पट्टी योजना रद्द होने जैसे इतिहास में बहुत से छोटे छोटे कारण छिपे हैं जिस वजह से डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र पिछड़ता चला गया जिसका कारण सीधे सीधे स्थानीय शासकों की क्षेत्र के प्रति लापरवाही है। उन्होंने कहा की क्षेत्र के विकास के लिए विकासशील दूरदृष्टि की ज़रूरत होती है जो की इस बार प्रदेश को व विधानसभा क्षेत्र को तीसरे विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी के तौर पे मिलने जा रही है।
मनीष ने क्षेत्र के निवासियों से अपील करते हुए कहा की 2022 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्रवासियों को इतिहास से लेकर वर्तमान तक क्षेत्र के पिछड़े होने के कारणों का आंकलन करना चाहिए व इस बार एक बेहतर व उज्जवल भविष्य को मद्देनज़र रखते हुए पुरानी रिवायतों को तोड़ कर समझदारी से मतदान करना चाहिए।