तानाशाही: सरकारी अधिकारियों की पोल खोलने वाले शिकायतकर्ता व सूचना देने वाले हो रहे धक्केशाही के शिकार

अखिलेश बंसल। बरनाला

प्रदेश के अंदर कानून को टिच समझा जा रहा है। सरकारी अधिकारी खुद ही जज बन रहे हैं, खुद ही गवाह, खुद ही तफतीशी अफसर और खुद ही फैसले सुना रहे हैं। इस धक्केशाही के शिकार आरोपित व दोषी लोग नहीं, बल्कि सरकारी अफसरों की पोल खोलने वाले शिकायतकर्ता और सूचनाकर्ता हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि प्रदेश के अंदर लोकतंत्र खत्म हो चुका है। जिसका खमियाजा एस.सी. कमीशन आयोग की सदस्य पूनम कांगड़ ने समेत परिवार और जिला संगरूर के एक सनातनी डेरे के महंत और कई अन्य भुगत रहे हैं। जो मीडिया और शोशल मीडिया पर चर्चा में है।

यह बताए जा रहे चर्चित मामले
मामला नंबर -1
संगरूर की एक बालिग लडक़ी ने अनुसूचित जाति आयोग पंजाब की सदस्य पूनम कांगड़ के लडक़े से अपने प्रेम संबंध के चलते चंडीगढ़ अदालत पहुंच कर गंधर्व विवाह करवा लिया था। उसके बाद लडक़ी के पिता ने आत्महत्या कर ली थी। लडक़ी के परिवार ने पिता की आत्महत्या के लिए एस.सी. कमीशन पंजाब की सदस्या पूनम कांगड़, उसके पति और उसके लडक़े को जिम्मेदार ठहरा दिया था। पुलिस ने उसके खिलाफ धारा 306 के अंतर्गत मामला दर्ज कर दिया था।

गौरतलब हो संविधान मुताबिक पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने से पहले एस.सी. कमीशन के चेयरमैन और सचिव से मन्जूरी लेनी बनती थी। नतीजन संगरूर पुलिस ने एस.सी. वर्ग की मांगों को पूरा करवाने और अनुसूचित जाति व सरकारी अधिकारियों की धक्केशाही को लगाम कसने की पैरवी कर रही पूनम कांगड़ का अक्स खराब करने की कोशिश की।

मामला नंबर -2
जिला संगरूर के एक सनातनी डेरे का महंत करीब 25 साल से असामाजिक तत्वों के खिलाफ (जो कि राजसी शह पर सनातनी डेरे की चल अचल संपत्ति पर कथित कब्जा करने की कोशिशें करते आ रहे हैं) उनके खिलाफ लड़ाई लड़ता आ रहा है। वर्णननीय है कि महंत ने राजसी ताकतों और उनकी गुलामी कर रही संगरूर जिला की पुलिस के खिलाफ डेरे के महंत की ओर से पंजाब-चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में केस भी दायर किया हुआ है, परन्तु संबन्धित क्षेत्र की पुलिस जो कथित तौर पर खुद ही तफतीश कर रही है, खुद ही गवाहियां भुगता रही है और खुद ही जज बनकर लोकतंत्र हत्या करते हुए अपने मुताबिक ही फैसले सुना रही है।

ऐसे होने लगे तफतीशी अफसरों के खुल्लासे:
बरनाला सीटी थाना-1 की पुलिस ने गत दिनों 16 जून को प्रांत के सिद्धवां बेट निवासी दविंदर सिंह नामक व्यक्ति के खिलाफ महिला को अपृह्त करने के आरोप के अंतर्गत एफआईआर नंबर 347 अधीन मामला दर्ज किया था। जिसको पुलिस ने बाघापुराना के गाँव लंगेआना में उसके साथी सहित हिरासत में ले लिया था। सीटी थाना-1 बरनाला के थाना प्रभारी बलजीत सिंह की ओर से तफतीशी अफसर एएसआई पवन कुमार को नियुक्त किया था, जिसने कागजी कार्यवाही करते हुए जिला अदालत पहुंचकर खुद ही ब्यान लिखित करवा दिए थे।

बाद में एसएचओ और एएसआई ने दोषी को आजाद करने के लिए रकम बटोर आपस में बाँट ली थी। जब इस की सूचना बरनाला पुलिस के उच्च अधिकारियों के पास पहुंची तो जांच पड़ताल करने पर पाया गया कि दोनों पुलिस अधिकारियों ने रिश्वत ली है। पुलिस ने एएसआई पवन कुमार को तो मौके पर ही गिरफतार कर लिया उसके पास से रिश्वत की बटोरी हुई एक लाख पांच हजार रुपए रकम भी निर्यात कर ली गई। इस खुल्लासे ने थानों में बैठे पुलिस की अधिकारियों की पोल खोली, जिससे हर कोई दंग रह गया।

समाजसेवियों ने खटखटाया डीजीपी का दरबार
इलाका की विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं के पहली कतार के नेता एवं दलित वेलफेयर संगठन पंजाब के प्रांतीय प्रैस सचिव कृष्ण सिंह ने कहा है कि प्रदेश के अंदर पुलिस तानाशाह बन बैठी है। जबकि प्रांतीय उपाध्यक्ष मोहत कुमार मेशी का कहना है कि पंजाब पुलिस के जिलों में तैनात किये अधिकारी और मुलाजिम राजसी नेताओं की शह पर मजलूमों को मुजरिम बना रही है।

उन्होंने प्रदेश पुलिस के डीजीपी दिनकर गुप्ता को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रदेश के हर जिला व हर शहर के अंदर अपने गुप्त सूत्रों की तैनाती की जाए, जिससे जमीनी हकीकत का पता लगाया जा सके और तानाशाही का फैलाव रहे पुलिस अधिकारियों पर लगाम कसी जा सके।