हिमाचल : पराशर के सौजन्य से 49 मरीजों के निशुल्क हुए मोतियाबिंद आपरेशन

जालंधर के निजी अस्पताल में कैप्टन संजय ने करवाए सफल आपरेशन

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

जसवां-परागपुर क्षेत्र को मोतियाबिंद मुक्त करने के कैप्टन संजय पराशर के प्रयास जारी हैं। इस प्राेजेक्ट के तहत बुधवार को एक साथ क्षेत्र के 49 मरीजों के निशुल्क आपरेशन पराशर द्वारा जांलधर के निजी अस्पताल में करवाए गए हैं। अब तक पराशर के सौजन्य से कुल 396 मोतियाबिंद आपरेशन करवाए जा चुके हैं। दरअसल जब संजय ने इसी वर्ष के फरवरी माह में आखों व कानाें के मेडीकल कैंप आयोजित करना शुरू किए थे। तब शायद ही किसी को इस बात का अंदाजा था कि यह अभियान इतने बड़े स्तर पर पहुंच जाएगा।

पराशर के 11 मेडिकल कैंपों में लाभार्थियों की संख्या 10,198 के आंकड़े तक पहुंच गई है। बड़ी बात यह भी है कि हर मेडीकल कैंप में मोतियाबिंद की बीमारी से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं। यह अलग बात है कि बीपी व शुगर ज्यादा होने के कारण कुछ बुजुर्ग मरीजों के आपरेशन नहीं हो सके हैं और उन्हें चिकित्सकों ने ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रण करने के बाद आपरेशन करने की बात कही है। बावजूद जो भी आपरेशन आज तक हुए हैं, उनकी सफलता की दर शत-प्रतिशत रही है। इन स्वास्थ्य शिविरों में मरीजों को निशुल्क चश्मे के साथ दवाईयां भी फ्री में उपलब्ध करवाई जाती हैं। इसके अलावा मरीजों के आपरेशन के लिए उनके गांव से ही बस सेवा मुहैया करवाई जाती है और खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था भी पराशर खुद करते हैं। इस दौरान मरीज का कोई पैसा खर्च नहीं होता है। निस्संदेह यह मेडीकल कैंप विशेष रूप से क्षेत्र के बुजुर्ग मरीजों के लिए वरदान साबित हुए हैं।

पराशर ने अब तक 564 विशेष प्रकार के चश्मे भी आंखों के मरीजों में वितरित किए हैं, जिनका नम्बर सामान्य तौर पर नहीं मिलता है। माेतियाबिंद का सफल आपरेशन करवा कर लौटे शांति देवी, उदय चंद, शादी लाल, कृष्णा देवी, शीला देवी, देवी चंद, रामकली, तरसेम और तिलक राज ने बताया कि पराशर ने स्वास्थ्य शिविरों और मोतियाबिंद आपरेशन के लिए बेहतरीन व्यवस्था कर रखी है। मेडीकल कैंप में जाने के बाद लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता और उसके बाद अगर चिकिस्तक आपरेशन का परामर्श देते हैं तो तीन दिनों के भीतर ही यह व्यवस्था कर दी जाती है। मंगलवार को भी दो गाड़ियों में कस्बा कोटला से जालंधर के लिए मरीज भेजे गए थे।


इन मरीजों का कहना था कि पराशर के कारण अब वे पहले से बेहतर देख पा रहे हैं और उन्होंने कुछ खर्च तक नहीं किया। इसलिए वे संजय का दिल से आभार जताते हैं। वहीं, संजय पराशर ने कहा कि बुजुर्ग इस बीमारी से पहले किन्हीं कारणों से समझौता कर लेते थे, लेकिन अब उन्हें ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है। आपरेशन की प्रक्रिया सिर्फ दो दिनों की है और इसके लिए मरीज को सिर्फ अपना समय देना है। शेष आखों की जांच से लेकर आपरेशन तक की व्यवस्था की हुई है और मरीजों के अुनभव यह है कि उन्हें इस दौरान किसी प्रकार की दिक्कत पेश नहीं आई। पराशर ने बताया कि अगले महीने जसवां-परागपुर क्षेत्र के दो स्थानों पर मेडिकल कैंप लगाए जाने की योजना है।