द्रोणाचार्य कॉलेज रैत ने वर्चुअल माध्यम से मनाया राष्ट्रीय युवा दिवस

उज्जवल हिमाचल। रैत
द्रोणाचार्य स्नातकोत्तर शिक्षण महाविद्यालय में राष्ट्रीय युवा दिवस वर्चुअल माध्यम से मनाया गया । जिसमें मुख्य वक्ता अशोक रैणा, मुख्य संयोजक विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी व विशिष्ट वक्ता स्वामी यज्ञधरानंद, सचिव रामकृष्ण मिशन जम्मू ने शिरकत की। इसमें महाविद्यालय के काफी बच्चे जुड़े। वहीं, मुख्य वक्ता अशोक रैना ने अपने सम्बोधन में कहा कि असमाजिक गतिविधियों में युवा भाग न लें और स्वामी विवेकानंद के विचार और साधना में योग विद्या का बहुआयामी समन्वय है। उन्होंने कहा कि ज्ञान, कर्म और भक्ति की त्रिवेणी उनके व्यक्तित्व से अविरल प्रवाहित होती है और राजयोग की पराकाष्ठा उनके जीवन को सूर्य की भांति दीप्तिमान बनाती है।
विवेकानंद की मान्यता में ‘अहं ब्रह्मास्मि’ की मौलिक धारणा संपूर्ण मानव जाति को अखंडता का आधार प्रदान करती है और इसी ऋषिसूत्र में समस्त समस्याओं का समाधान निहित है। योग को लेकर उन्होंने जो विचार व्यक्त किए, वह योगज्ञान का एक तरह से आधुनिक भाष्य है।
विशिष्ट वक्ता स्वामी यज्ञधरानंद ,सचिव रामकृष्ण मिशन जम्मू ने अपने संबोधन में कहा कि योग की अनेक धाराएं हैं। इनमें भी मंत्रयोग, हठयोग, लययोग और राजयोग को अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना गया है। स्वामी विवेकानंद ने योग की इन विशिष्ट परंपराओं को विश्व के समक्ष व्यावहारिक ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग आदि योग पद्धतियों के द्वारा जनसामान्य एवं खासतौर पर युवाओं में अध्यात्म एवं योग के प्रति समर्पण की भावना को जागरूक किया।
साथ ही महाविद्यालय के शैक्षणिक अधिष्ठाता डॉ. प्रवीण कुमार शर्मा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की तरह सभी युवाओं को  अपने चरित्र  को उज्ज्वल करना चाहिए और बिना भयवीत है अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए।
वहीं, कार्यकारी निदेशक बीएस पठानिया ने कहा कि आज देश राष्ट्रीय युवा दिवस मना रहा है। इस अवसर पर सिर्फ स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर देने से बात नहीं बनेगी, बल्कि हमें उनके दर्शन को भी समझना और आत्मसात करना होगा। स्वामी विवेकानंद ने मानव जीवन की विभिन्न समस्याओं पर गहन चिंतन किया था। उनके चिंतन के क्षेत्र धर्म, दर्शन, सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था, शिक्षा प्रणाली, महिलाओं की स्थिति और राष्ट्र का सम्मान आदि थे। विभिन्न समस्याओं पर उनके विचारों ने राष्ट्र को एक नई दिशा दी है। उनके अनुसार शिक्षा आंतरिक आत्म की खोज का जरिया है।
इस मौके पर प्रबंधक निदेशक जी एस पठानिया, कार्यकारिणी निदेशक बीएस पठानिया, प्राचार्य डॉ बीएस बाघ, शैक्षणिक अधिष्ठाता डॉ प्रवीण शर्मा, विभागाध्यक्ष सुमित शर्मा सहित समस्त शिक्षक मौजूद रहे।