शहीद अमित शर्मा की पार्थिव देह के इंतजार में परिजन, बर्फीले तूफान की चपेट में आया था शहीद अमित

खराब मौसम के कारण शहीद की पार्थिव देह को लाने में हो रहा है विलम्ब

Family members waiting for the mortal remains of Martyr Amit Sharma, Martyr Amit came in the grip of snow storm

उज्जवल हिमाचल। हमीरपुर

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के माछल सैक्टर में डयुटी के दौरान आए बर्फीले तूफान के कारण सड़क दुर्घटना में शहीद हुए जिला हमीरपुर के तलासी खुर्द गाँव के 23 वर्षीय अमित शर्मा की पार्थिव देह अभी तक उनके पैतृक गाँव नहीं पहुँच पाई है। शहीद के घर मातम का माहौल है और उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। शहीद अमित शर्मा की माँ अपने बेटे की शहादत की खबर से बेसुध पड़ी हुई दरवाजे की तरफ टकटकी लगाए अपने जिगर के टुकड़े के पार्थिव शरीर के इंतजार में है।

अपने लाल की आखिरी बार एक झलक देखने के लिए वह लगातार दरवाजे की तरफ नजरें टिकाए हुए है, वहीं शहीद के पिता व परिवार पर दुखों का ऐसा कहर टुटा है कि पिछले सात महीनों में एक ही परिवार केे तीन लोगों का निधन हो चुका है। सात माह पुर्व शहीद अमित शर्मा के दादा का देहांत हुआ था और अभी पाँच दिन पहले शहीद की दादी भी भगवान को प्यारी हो गई थी।

शहीद अमित शर्मा के पिता अभी अपने माता-पिता के दुख से भी नहीं उभर पाए थे कि बेटे की शहादत की खबर ने उन्हें पूरी तरह तोड़ कर रख दिया है। अमित शर्मा की शहादत की खबर को सुनकर लोग उनके घर पहुँच रहे हैं और परिवार को संतावना देते हुए ढाढंस बंधवाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन बेटे की शहादत के गम में डुबे परिजनों की आँखों से आंसु नहीं सुख रहे हैं। जिला प्रशासन सहित क्षेत्र के लोग व परिजन शहीद अमित शर्मा की पार्थिव देह के इंतजार में है लेकिन उनका पार्थिव शरीर कब घर पहुँचेगा अभी इसकी पुख्ता जानकारी किसी के पास नहीं है।

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सूचना यह है कि मौसम खराब होने के चलते शहीद के पार्थिव शरीर को लाने में देरी हो रही है। वहीं जिला प्रशासन की माने तो उनके पार्थिव शरीर को कब घर लाया जाएगा इसके बारे में भारतीय सेना के अधिकारियों की ओर से अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। वहीं शहीद अमित शर्मा के भाई की माने तो उन्हें अपने भाई की शहादत पर गर्व है कि अमित शर्मा ने मातृभूमि की सेवा में अपने प्राणों का सर्वाेच्य बलिदान दिया है। वहीं इस बात का भी मलाल है कि छोटी सी उम्र में ही अमित शर्मा हमें अकेला छोड़कर इस दुनिया से रूख्सत हो गया है।

जिला हमीरपुर के ग्राम पंचायत धनेड के तलासी खुर्द गांव के विजय कुमार के घर 1999 में जन्मे अमित शर्मा मात्र 18 वर्ष की उम्र में भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट में भर्ती हुए थे और वर्तमान में जम्मु कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में सेवाएं दे रहे थे। 10 जनवरी को ड्यूटी के दौरान गश्त पर निकले 2 अन्य जवानों के साथ शहीद अमित शर्मा बर्फीले तुफान की चपेट में आने के कारण सड़क दुर्घटना में गहरी खाई में गिर गए थे।

जहां तीनों जवानों की मौत हो गई थी। शहीद अमित शर्मा के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव लाने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन खराब मौसम के कारण उनकी पार्थिव देह को लाने में विलम्ब हो रहा है। शहीद अमित शर्मा परिवार में कमाने वाला एकमात्र साधन था और अपने मां-बाप के बुढ़ापे की लाठी थी। जिसे कुदरत ने अब छीन लिया है।

संवाददाताः विजय ठाकुर

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