स्टोन क्रशर बंद रखने से सरकार को क्रशर उद्योगों से उठाना पड़ रहा काफी नुकसान

उज्ज्वल हिमाचल। नूरपुर
प्रदेश सरकार द्वारा कुछ समय से नूरपुर फतेहपुर इंदौरा व ज्वाली मंड क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ एवं कुछेक लोगों के निजि विरोध के दृष्टिगत पौंग बांध से निचले क्षेत्र में ब्यास नदी तथा इसकी सहयोगी खड्डों, नदियों, के किनारे लगे स्टोन क्रशर्ज को बंद रखने से सरकार को क्रशर उद्योगों से प्राप्त होने वाले राजस्व का काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन क्षेत्र के अधिकांश लोगों का कहना है कि क्रशर उद्योग बंद करना समस्या का समाधान नहीं बल्कि आम जन के निर्माण कार्यों में अड़ंगा लगाने जैसा है। गौरतलब है कि मंड क्षेत्र के कुछ लोग मण्ड क्षेत्र में आई बाढ़ के लिए ब्यास नदी के किनारे लगे क्रशर उद्योगों को दोषी मान रहे हैं।

उनका कहना है कि अत्यधिक खनन के चलते ब्यास नदी के बहाव ने अपना रुख बदल लिया, जिससे पानी उनकी फसलों आदि को बरवाद कर गया। दूसरी ओर मण्ड क्षेत्र का ही एक समुदाय का कहना है कि अपनी जमीनों को समतल करवाने अथवा जहाँ फसल नहीं उगाई जा रही वहाँ से रेत बजरी क्रशर उद्योगों को बेचकर अपनी जमीन में मिट्टी डलवाकर उसे उपजाऊ बनाता रहा है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि क्षेत्र में अवैध खनन एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा रहा है, इसे लेकर भी जनता में काफी रोष है। कई स्थानों पर तो खनन विभाग व क्रशर उद्योगों की मिली भगत से अवैध खनन होने का आरोप भी सरे आम जनता में लग रहे हैं।

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लेकिन अब सरकार द्वारा क्रशर उद्योगों को बंद करने से पंचायती विकास कार्यों, फ़ोर लाइन सरकारी निर्माण कार्य व जनता के कार्यों में अड़चनें पड़ रही हैं। हजारों मजदूर तथा सैकड़ों ट्रक चालक भी बेरोजगार हो गये है, साथ ही जो लोग अपने गृह निर्माण आदि का कार्य कर रहे हैं उनके काम भी अधर में लटक रहे हैं। यही नहीं कि लोग आज भी सरकार के इस निर्णय से दुःखी हो गए हैं। लोकसभा का चुनाव काफी समीप है। सरकार अगर इस मामले में कोई कदम जनहित में उठाती हैं तब सरकार लोक सभा चुनाव में पार्टी का परचम लहरा सकती है।

बता दें प्रदेश में बीजेपी इस मामले को लोकसभा चुनाव में जनहित का मुदा बनाने में जा रही है। उधर पार्टी के एक समुदाय ने भी इस मामले में जनहित में कदम उठाने के लिए सरकार से कुछ आशाएं रखी हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि शायद सरकार इस मामले में लोक सभा चुनाव से पहले शायद कोई कदम जनहित में उठा सके। मुख्यमंत्री द्वारा इस मामले लिया गया फैसला जनहित विरोधी अवश्य है लेकिन प्रदेश के हित में भविष्य को लेकर था।

संवाददाता : विनय महाजन

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