मक्की को कीट से बचाने के लिए करें दवा का छिड़काव

उज्जवल हिमाचल। पालमपुर

जिला कांगड़ा के कृषि विभाग की राज्य जैव नियन्त्रण प्रयोगशाला पालमपुर के अधिकारिओं व विकास खण्ड परागपुर की संयुक्त टीम ने 05-07-2022 को कीट ग्रसित मक्की के खेतों का निरिक्षण किया। पिछले वर्ष भी इस कीट का प्रकोप इस विकास खंड के विभिन्न क्षेत्रों में जुलाई के महीने में पाया गया था तथा किसानों को इस कीट की सुंडी की पहचान व इसके नुक्सान के बचाब के लिए अनुमोदित जैविक व रासायनिक दवाईयों की भी जानकारी दी गयी थी और किसान भाइयों ने समय रहते इस कीट पर नियंत्रण पा लिया था।

लेकिन इस वर्ष फिर से यह कीट मक्की की फसल पर आ गया है और अभी मक्की के पोधे भी 5-7 पते की अवस्था में हैं। इस अवस्था में यह कीट फसल को नुक्सान पहुंचा सकता है। इस टीम ने परागपुर ब्लाक के भरौली जदीद, रकड़, सर्द डोगरी, सलेटी (कूदना), बदवार व आसपास के खेतों का निरिक्षण किया व पाया कि इस कीट का नाम फॉलआर्मी वर्म है तथा इस कीट का प्रकोप मक्की की फसल पर है। इस टीम ने लोगों को इस कीट की रोकथाम की जानकारी दी।

जिला कांगड़ा के कृषि उप निदेशक डॉ. राहुल कटोच ने जिला कांगड़ा के सभी किसानों को सलाह दी है कि इस कीट की रोकथाम के लिए किसान भाई अपने खेतों में कीट का प्रकोप शुरू होते ही 5% एन. एस. के. इ. (नीम) या अज़दिराक्टिन (नीम) 1500 पी. पी. एम्. का 5 मि. ली. दवाई प्रति लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें। इसके अतिरिक्त प्रकोप अधिक होने पर रासायनिक दवाईयों जैसे कि क्लोरेंटीनिलिप्रोल 18.5 % एस. सी. का 0.4 मि. ली. दवाई को एक लीटर पानी में मिलाकर (8 मि. ली. को 20 लीटर पानी प्रति कनाल) या थायोमिथोजेम 12.6 % + लेम्डासाईंहेलोथिन 9.5 % 0.25 मिo लीo प्रति लीटर पानी (5 मिo लीo को 20 लीटर पानी प्रति कनाल) या स्पाईनेटोरम 11.7 % एसo सीo का 0.5 मिo लीo प्रति लीटर पानी (5 मिo लीo को 20 लीटर पानी प्रति कनाल) या एमामेक्टिन बेंजोएट 5 % एस जी का 0.4 मिo ग्राम दबाई को एक लीटर पानी में मिलाकर (8 ग्राम को 20 लीटर पानी प्रति कनाल) छिड्काव करें।

इसकी दवाई कृषि विभाग के विक्रय केंद्र व कृषि विभाग से लाईसेंस प्राप्त दबाईयों की दुकानों में उपलब्ध हैं। अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि अधिकारी से संपर्क करें।