उज्जवल हिमाचल। नूरपुर
पंजाब व हिमाचल (Punjab and Himachal) के बीच बहने वाली चक्की दरिया में अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले पा रहा है। गौर करने की बात यह है कि यहां पर अभी तक हिमाचल सरकार का एक ही पुलिस विभाग का प्रशासन अवैध खनन को रोकने की क़वायद करता है बाकी अन्य विभागों की इस मामले में धरातल पर अवैध खनन को रोकने की कारगुजारी आज तक जीरो रही है।
जिला व राज्य स्तर की बैठकों में ऐसे विभाग टेबल पर अपनी हाजिरी अवश्य देते है जबकि इन विभागों से पास खनन विभाग की चलान करने की सारी दस्तावेजी मौजूद रहती है। ऐसे में इन विभागों की लापरवाही के कारण खनन माफिया फिर से दुगने जोश के साथ खनन को अंजाम देने में जुट जाता है।
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अवैध खनन की मार सहते हुए यहां चक्की खड्ड के अस्तित्व पर आज भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अवैध खनन के कारण रेलवे पुल ध्वस्त हो चुका है। कई महीनों से रेल यातायात अवरुद्ध पड़ा है। उधर लोकसभा चुनाव भी नजदीक है। जिसका खामियाजा क्षेत्र की जनता को उठाना पड़ रहा है। तो एनएचआई के पुल के क्षतिग्रस्त हुए पिलरों को दुरुस्त करने की क़वायद जारी है जोकि बड़े वाहनों के लिए अब भी बंद है।
हैरानी का विषय यह है कि पंजाब की एक निजी कम्पनी के बडे-बडे वाहन देर रात को लोडेड इस चक्की पुल से उस समय पंजाब के लिए गुजरते है जब हिमाचल का मतदाता सो जाता है। रातों रात हिमाचल की करोडों रुपयों की वन सम्पदा रात के अधेंरे में इस पुल से पंजाब जा रहा है जिसका चर्चाए लोगों में चर्चित है कि यह वन सम्पदा सरकारी है या निजी है।
चक्की खड्ड में हिमाचल और पंजाब के दोनों किनारों पर अनेक क्रशर यूनिटें कार्यरत हैं जिनमें से कुछ एक के पास ही खनन योग्य लीज है। अधिकांश स्थानों पर अवैध खनन जारी है। अवैध खनन की मार सहते हुए चक्की खड्ड भारी भरकम खाइयों में तब्दील हो कर रह गई है तो आसपास की लोगों की निजी उपजाऊ भूमि को भी माफिया निशाना बनाने से बाज नहीं आता हालंकि कुछ दिन पहले पुलिस द्वारा एक बड़ी कार्यवाही करते हुए सात टिप्पर और तीन जेसीबी मशीने मौके से कब्जे में लेकर कार्यवाही को अंजाम दिया था लेकिन इतनी बड़ी कार्यवाही के बाद भी हालत जस के तस हैं।
चक्की खड्ड के विभिन्न क्षेत्रों में रोजाना दर्जनों वाहन अवैध खनन को अंजाम देने में जुटे रहते हैं। यह जानकारी नूरपुर जिला के पुलिस अतिरक्त अधीक्षक मदन कांत ने बताया कि अवैध खनन की स्टीक जानकारी मिलने पर पुलिस कड़ी कार्यवाही करती है। इसे रोकने के लिए खनन विभाग का भी उतरदायित्व बनता है।