करवाचौथ: रामचरितमानस में मिलता है पति-पत्नी के अटूट बंधन का जिक्र

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

करवाचौथ सुहागिन महिलाओं के सभी व्रतों में बेहद खास है। इस दिन महिलाएं दिन भर भूखी-प्यासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यही नहीं कुंवारी लड़कियां भी मनवांछित वर के लिए या होने वाले पति की खातिर निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने के बाद करवा चौथ की कथा सुनी जाती है। फिर रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत संपन्न होता है। मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। यह व्रत अच्छे गृहस्थ जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि महान संत कवि तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस के अयोध्या कांड की इन महत्वपूर्ण पंक्तियों में पति-पत्नी के पावन संबंधों की सार्थक व्याख्या की है। सीता जी वन जा रहे भगवान राम से कहती हैं- माता, पिता, बहन, प्यारा भाई, प्यारा परिवार, मित्रों का समुदाय, सास,ससुर, गुरु, स्वजन, सहायक और सुंदर सुशील और सुख देने वाला पुत्र, हे नाथ! जहां तक स्नेह और नाते हैं, पति के बिना स्त्री को सभी सूर्य से बढ़ कर तपाने वाले हैं। शरीर, धन, घर, पृथ्वी, नगर और राज्य व पति के बिना स्त्री के लिए यह सब शोक का समाज है। करवा चौथ का व्रत गृहस्थ जीवन के लिए इसीलिए अति महत्वपूर्ण हैं। सावित्री ने इस बात की गंभीरता को समझा, तभी तो तप कर पति सत्यवान के लिए यमराज से लंबी आयु का वरदान हासिल किया। यह व्रत अमूमन महिलाएं ही करती हैं।
करवा चौथ मुहूर्त
करवा चौथ पूजा मुहूर्त -शाम 5:29 से 6:48 बजे
चंद्रोदय- 8:16 बजे
चतुर्थी तिथि आरंभ – 03:24 (4 नवंबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त – 05:14 (5 नवंबर)
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